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कानपुर हत्याकांड व विकास दुबे मुठभेड़ केस में जांच आयोग के पुनर्गठन को यूपी कैबिनेट की मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कानपुर में जघन्य हत्याकांड व विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले की जांच के लिए बने आयोग के पुनर्गठन को यूपी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 01:37 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 06:08 AM (IST)
कानपुर हत्याकांड व विकास दुबे मुठभेड़ केस में जांच आयोग के पुनर्गठन को यूपी कैबिनेट की मंजूरी
कानपुर हत्याकांड व विकास दुबे मुठभेड़ केस में जांच आयोग के पुनर्गठन को यूपी कैबिनेट की मंजूरी

लखनऊ, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और कुख्यात विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले की जांच के लिए बने आयोग के पुनर्गठन को यूपी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। आयोग जल्द ही अपनी जांच शुरू कर देगा। कमेटी के प्रस्ताव को शुक्रवार रात कैबिनेट ने सहमति के साथ ही एकल न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित आयोग में दो और सदस्यों को शामिल कर दिया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराए जाने और आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की जांच के लिए सरकार की ओर से गठित एकल सदस्यीय आयोग के पुनर्गठन का आदेश दिया था। सरकार के प्रस्तावित नामों को मंजूरी देते हुए आयोग में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस चौहान और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को शामिल किया गया है। जस्टिस बीएस चौहान को जांच आयोग का प्रमुख बनाया गया है। हाई कोर्ट के पूर्व जज शशिकांत अग्रवाल पहले से आयोग में हैं।

कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ मारे जाने की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता वाला तीन सदस्यीय आयोग करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित आयोग के सदस्यों के नामों को मंजूरी दे दी है। आयोग दो महीने में जांच पूरी करके सुप्रीम कोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। जांच आयोग में जस्टिस चौहान के अलावा इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता सदस्य होंगे। आयोग लखनऊ में बैठेगा और एक सप्ताह के भीतर कामकाज शुरू कर देगा। आयोग को सचिवालय स्टाफ केंद्र सरकार मुहैया कराएगी। आयोग दो महीने में जांच पूरी करके जांच आयोग एक्ट 1952 के तहत अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश सरकार को सौंपेगा।

विकास दुबे पर वर्षों से संगीन अपराधों के कई मामले चल रहे थे। उसे सितंबर 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से सप्लाई इंस्पेक्टर से मारपीट के एक मामले में जमानत मिली थी। इसके अलावा हत्या के एक मामले में उम्र कैद की सजा होने के बाद भी उसे जमानत मिली थी। कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान भागने की कोशिश में वह पुलिस की गोली से मारा गया था।


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