यूपी बजटः वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने शेर के जरिये विपक्ष पर साधा निशाना
लोक कल्याण संकल्प पत्र में विकास की संकल्पना और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के सपनों के अनुरूप समाज के विभिन्न वर्गों के विकास और कल्याण का भरोसा देते हुए उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया।
लखनऊ [आनन्द राय]। विधानसभा में वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने बजट भाषण पढ़ा तो माहौल बिल्कुल उनके अनुकूल था, लेकिन विपक्ष पर निशाना साधने से वह चूके नहीं। अग्रवाल ने कई शेर पढ़े। इन शेरों के जरिये उन्होंने न केवल उम्मीद जगाई बल्कि विपक्ष पर जमकर ठीकरा फोड़ा। लोक कल्याण संकल्प पत्र में विकास की संकल्पना और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के सपनों के अनुरूप समाज के विभिन्न वर्गों के विकास और कल्याण का भरोसा देते हुए उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया तो वह विश्वास से भरे हुए थे। उन्होंने शेर पढ़ा -
'हमारा वादा है हर घर को जगमगाएंगे,
दीयों की लौ को हवाओं से हम बचायेंगे।
स्वर्ग उतरेगा एक रोज अपनी धरती पर,
जो कोई कर नहीं पाया, वो कर दिखायेंगे।
अग्रवाल यह शेर पढ़ते हुए विपक्ष की ओर देख रहे थे। पर, उस समय नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी मेज थपथपाकर उनका स्वागत कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। चौधरी को मेज थपथपाते देख सत्तापक्ष के सदस्य करीब डेढ़ मिनट तक मेज थपथपाते ही रहे। हालांकि अग्रवाल ने बजट भाषण की शुरुआत ही विपक्ष पर इस तंज 'हम उस समय से बहुत आगे बढ़ आये हैं जब भ्रष्टाचार को शिष्टाचार का अंग बना लिया गया था के साथ की थी। इतना ही नहीं जोर देकर कहा था कि विगत सरकारों द्वारा व्यर्थ योजनाओं और कार्यों में खजाने को खाली कर दिया गया था। मर्यादा पुरुषोत्तम राम और सोलह कलाओं के अवतार श्रीकृष्ण को प्रणाम करते हुए वित्त मंत्री ने भाषण को गति दी तो उनका संकल्प भी उनके साथ था। उनके निशाने पर विपक्ष था, लेकिन सत्ता पक्ष की तालियों के बीच बड़े ही अलग अंदाज में यह शेर पढ़ा -
'साहिल से मुस्कुरा के तमाशा न देखिये,
हमने ये खस्ता नाव विरासत में पायी है।
बारिश के इंतजार में सदियां गुजर गयीं,
उट्ठो जमीं को चीर के पानी निकाल लो।
अग्रवाल की ओर से यह अपने सदस्यों को नसीहत थी तो सामने बैठे विपक्ष के 15 वर्षों की सरकार पर हमला भी था। विपक्ष के लोगों में अग्रवाल के शेरों पर कसमसाहट जरूर थी, लेकिन सदन मर्यादाओं में बंधा था। और इस मौके पर अग्रवाल प्रदेश को अव्यवस्था के घोर अंधकार से बाहर निकालने के वादे और अपने वित्तीय प्रबंधन की सराहना में लगे थे। कहा, हम वादों को हकीकत में बदलने का संकल्प लेकर सबका साथ, सबका विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। और यह कहने के साथ एक बार फिर विपक्ष की ओर ही मुड़ गये। विपक्ष की ओर हाथ दिखाकर अग्रवाल ने कहा-
'तमाम राह तुम्हें बारहा रुलाएंगे,
सफर के सारे मकामात याद आएंगे।
ये जिनकी रोशनी तुमको अखर रही है अभी,
यही चिराग तुम्हें रास्ता दिखाएंगे।
फिर भी विपक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। शांतिपूर्ण माहौल में उन्होंने अपनी सरकार की पीठ थपथपाई। नई व्यवस्था के जिक्र के साथ वित्त मंत्री ने जब यह शेर पढ़ा -
'गुजरने को तो हजारों ही काफिले गुजरे,
जमीं पे नक्श-ए-कदम बस किसी-किसी का रहा। तब मानों यही कहना चाह रहे थे कि ऐसी सरकार अब तक नहीं आयी। कहा भी, मुझे बताते हुए हर्ष हो रहा है कि उत्तर प्रदेश पूरे भारत में जीएसटी व्यवस्था के अन्तर्गत सर्वाधिक वृद्धि वाला राज्य बन रहा है। उन्होंने गरीबों तथा समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं के लाभ पहुंचाने के लिए कटिबद्धता दोहराई। इस बार भी उनके अल्फाज शेर बनकर ही फूटे -
'वह और दर है, पुकारे जो नहीं खुलते,
हमारा प्यार गरीबों के द्वार जाता है।वित्त मंत्री ने सबका श्रेय मुख्यमंत्री को दिया। और आम आदमी की खुशहाली के लिये बार-बार भरोसा दिया।
बैठकर बजट पढऩे की मांगी अनुमति
वित्त मंत्री ने 12 बजकर 20 मिनट पर 45 पेज के अपने बजट भाषण की शुरुआत की। 40 वें पेज तक पहुंचते-पहुंचते अग्रवाल की सांस उखडऩे लगी। उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से बैठकर भाषण पढऩे की अनुमति मांगी। अध्यक्ष की अनुमति के बाद वह बैठकर पढऩे लगे। पिछली बार अग्रवाल पूरा बजट भाषण पढ़ नहीं पाये थे। तब उनका बाकी बजट भाषण संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने पढ़ा था।