यूपी बोर्ड की अंक सुधार लिखित परीक्षा कार्यक्रम घोषित, 18 सितंबर से 6 अक्टूबर तक होगा एग्जाम
UP Board Marks Improvement Exam उत्तर प्रदेश सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की लिखित परीक्षा 2021 का कार्यक्रम जारी कर दिया है। जो विद्यार्थी 10वीं और 12वीं में मिले अंकों से संतुष्ट नहीं हैं वे अब अंक सुधार की लिखित परीक्षा दे सकते हैं।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की लिखित परीक्षा 2021 का कार्यक्रम जारी कर दिया है। जो विद्यार्थी 10वीं और 12वीं में मिले अंकों से संतुष्ट नहीं हैं, वे अब अंक सुधार की लिखित परीक्षा दे सकते हैं। अंक सुधार की लिखित परीक्षा 18 सितंबर से छह अक्टूबर तक कराई जाएगी। यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का रिजल्ट देने में भले ही सारे रिकार्ड तोड़ दिए हों लेकिन, विद्यार्थियों की संतुष्टि का प्रतिशत आए परिणाम के माफिक नहीं था।
विद्यार्थी रिजल्ट के ओवरआल प्रतिशत को पीछे छोड़कर खुद को मिले अंकों का गुणा-भाग लगा रहे थे। बड़ी संख्या में विद्यार्थी मिले अंकों को कम बता रहे हैं, हजारों प्रत्यावेदन क्षेत्रीय कार्यालयों में इसकी गवाही दे रहे हैं। दो लाख से अधिक विद्यार्थी ऐसे हैं जो परिणाम में अंक न मिलने या फिर फेल होने से असहज थे। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शत-प्रतिशत विद्यार्थियों को संतुष्ट करने के लिए लिखित परीक्षा से सभी सवालों का जवाब दे दिया है।
हाईस्कूल व इंटर का परिणाम 31 जुलाई को घोषित हुआ था। उस समय कहा गया था कि जो पंजीकृत विद्यार्थी अंक सुधार की परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें अगली बोर्ड परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा, उनका परीक्षाफल 2021 ही माना जाएगा। अंक सुधार की परीक्षा अब 18 सितंबर से छह अक्टूबर के बीच कराई जाएगी। हाईस्कूल की 12 दिनों में और इंटर की परीक्षा 15 दिनों में कराई जाएगी। परीक्षा के लिए विद्यार्थी 27 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं। यूपी बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर होने वाली लिखित परीक्षा का विस्तृत कार्यक्रम बोर्ड ने जारी कर दिया है, इम्तिहान उसी के अनुसार कराया जाएगा। इसमें कोविड-19 के निर्देशों का पूरी तरह से अनुपालन किया जाएगा।
यूपी बोर्ड के 100 वर्ष के इतिहास में पहली बार हाईस्कूल में 99.53 व इंटर में 97.88 फीसद विद्यार्थी 31 जुलाई को उत्तीर्ण हुए थे, हाईस्कूल परीक्षा के लिए कुल 29 लाख 96 लाख 31 विद्यार्थी पंजीकृत थे, उनमें से 29 लाख 82 हजार 55 उत्तीर्ण हुए। इंटर के लिए 26 लाख 10 हजार 247 विद्यार्थी पंजीकृत थे, जिसमें 25 लाख 54 हजार 813 उत्तीर्ण हुए थे। इनमें बड़ी संख्या में विद्यार्थी मिले अंकों से खुश नहीं हैं, उनका कहना है कि परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं है। असल में विद्यार्थियों को प्री बोर्ड आदि के अंक पता नहीं है, इन्हीं अंकों से रिजल्ट बदल गया है।
बोर्ड ने तय फार्मूले के तहत न्यूनतम उत्तीर्णांक न पाने वाले उन विद्यार्थियों को सामान्य प्रोन्नति दी थी, जो आंतरिक मूल्यांकन में उत्तीर्ण हैं। जिन छात्र-छात्राओं के 9वीं व 11वीं के वार्षिक परीक्षा या फिर 10वीं व 12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा के अंक उपलब्ध नहीं थे, उन्हें भी बिना अंकों के प्रोन्नत किया गया। हाईस्कूल में ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 82 हजार 238, जबकि इंटर में 62 हजार 506 है। हाईस्कूल में एक फीसद से कम यानी 0.47 व इंटर में 2.12 फीसद छात्र-छात्राएं ऐसे थे, जो अनुत्तीर्ण हुए। ये वे विद्यार्थी थे जो तय फार्मूले की परीक्षाओं में अनुपस्थित थे या विदहेल्ड हैं। यानी जिन विद्यार्थी के अभिलेख पूरे नहीं है या उनके अंकपत्र आदि त्रुटिपूर्ण या फिर फर्जी हैं, वे सब फेल हो गए हैं।