दंगा आरोपितों के मुकदमे वापसी पर नोकझोंक, सपा का बहिर्गमन
यूपी विधानसभा के प्रश्नकाल में मंगलवार को सांप्रदायिक दंगों के आरोपितों से मुकदमे हटाने के मुद्दे पर भाजपा और सपा सदस्यों के बीच जमकर नोकझोंक हुई।
लखनऊ (जेएनएन)। यूपी विधानसभा के प्रश्नकाल में मंगलवार को सांप्रदायिक दंगों के आरोपितों से मुकदमे हटाने के मुद्दे पर भाजपा और सपा सदस्यों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। सरकार के रवैये से नाराज सपा ने नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
सदन में माहौल उस बिगड़ गया जब सपा के संजय गर्ग के प्रश्न पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने एक जनवरी, 2017 से 31 जुलाई, 2018 के बीच में प्रदेश में दो सांप्रदायिक दंगे बिजनौर व एटा में होने की जानकारी दी। जिस पर विपक्ष ने कड़ा प्रतिरोध जताते हुए सच छिपाने का आरोप लगाया। संजय गर्ग ने छह फरवरी, 2018 को लोकसभा में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के उस बयान का हवाला दिया जिसमें देश में सर्वाधिक सांप्रदायिक तनाव की वारदातें उप्र में होने का आंकड़ा दिया गया था। गर्ग ने आरोप लगाया कि सरकार सदन को गलत जानकारी दे रही है। केंद्र सरकार को भेजी जानकारी में प्रदेश में 822 से अधिक सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं होना बताया गया और विधानसभा में मात्र दो दंगे होने की सूचना दी जा रही है। विपक्ष की ओर से सदन को गुमराह करने की आवाजें उठने लगी।
जवाब में सत्ता पक्ष के सदस्य भी खड़े हो गए। बचाव में उठे संसदीय कार्यमंत्री खन्ना ने जब सपा शासन काल में सांप्रदयिक दंगों का इतिहास बताने की बात कही तो नोकझोंक तेज हो गई। संजय गर्ग ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपितों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर एतराज जताया तो भाजपा के ब्रजेश कुमार सिंह, प्रदीप चौधरी, सुरेंद्र सिंह, सोमेंद्र तोमर और दिनेश खटीक आदि ने हंगामा शुरू कर दिया। जवाब में सपा की ओर से रफीक अंसारी, मनोज पांडे, नफीस अहमद, इरफान सोलंकी, मनोज पारस आदि भी खड़े हो गए। संसदीय कार्य मंत्री खन्ना ने आरोप लगाया कि सपा शासनकाल में आतंकियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की कोशिश की गई जिस पर न्यायालय को भी कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी थी। इस पर नेता विरोधीदल रामगोविंद चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी दंगा भड़काने का आरोप लगाया। सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।