कांग्रेस से छीने गए 'गढ़' की किलेबंदी करने पहुंचे थे सीएम योगी आदित्यनाथ, जानें क्यों महत्वपूर्ण है यह सीट
UP Assembly Election 2022 जगदीशपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है 1962 के पहले ही चुनाव में कांग्रेसियों का कब्जा हो गया और इंद्रपाल सिंह विधायक बने। इसके बाद 1974 में कांग्रेस से रामसेवक धोबी विधायक बने।
अमेठी, जागरण संवाददाता। कांग्रेस के गढ़ के के रूप में विख्यात रही अमेठी में अगर कोई असली गढ़ था तो वह है जगदीशपुर। यह विधानसभा सीट है जिसमें कांग्रेस को सबसे अधिक नौ बार जीत हासिल हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली थी। सोमवार को सुबह के सीएम योगी आदित्यनाथ जन विश्वास रैली के अंतर्गत इसी छीने गए गढ़ की किलेबंदी करने के लिए मुबारकपुर पहुंचे थे।
जगदीशपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है 1962 के पहले ही चुनाव में कांग्रेसियों का कब्जा हो गया और इंद्रपाल सिंह विधायक बने। इसके बाद 1974 में कांग्रेस से रामसेवक धोबी विधायक बने। इसके पूर्व और 1969 में रामसेवक धोबी जनसंघ से चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंच चुके थे। इसके बाद रामसेवक और जगदीशपुर विधानसभा के मतदाताओं के बीच कुछ ऐसा ताल्लुक बना कि अगले डेढ़ दशक तक उनका जलजला रहा 1980 1985 1989 और 1991 में रामसेवक लगातार चार बार विधायक रहे इसके बाद 2002 और 2007 में भी रामसेवक ने कांग्रेस का परचम लहराया। 2012 में उनके नाती राधेश्याम कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे।
1996 में पहली बार जीती भाजपा : जगदीशपुर सीट पर भाजपा को पहली जीत 1996 में मिली और राम लखन विधायक बने।बाद में राम लखन को सरकार में मंत्री भी बनाया गया। संयोग ही है कि 2017 के चुनाव में सुरेश पासी यहां से विधायक बने और वह भी सरकार में मंत्री हैं। यानी दोनों ही बार जब भाजपा यहां से जीती तो सरकार में रही।
एक बार जीती सपा बसपा को इंतजार : अनुसूचित जाति बहुल सीट होने के बावजूद यहां अभी बसपा का खाता नहीं खुल सका है। जबकि समाजवादी पार्टी 1993 में सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है। तब नंदलाल विधायक बने थे। सिर्फ 2007 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे।