World Diabetes Day: मधुमेह के तनाव से जिंदगी में 'भरी कड़वाहट, बच्चे भी आ रहे हैं चपेट में
World Diabetes Day अनियमित दिनचर्या व खानपान से बढ़ रहे शुगर के मरीज। नियमित व्यायाम व शारीरिक श्रम करने से होता है नियंत्रण।
बलरामपुर [पवन मिश्र]। मधुमेह की स्थिति दिनोंदिन भयावह होती जा रही है। बुजुर्गों को छोड़ दें तो नौजवान व बच्चे तक इसकी चपेट में आते जा रहे हैं। यह ङ्क्षजदगी में बीमारियों की कड़वाहट घोल रही है। हर माह करीब 500 रोगी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनकी बढ़ती हुई संख्या से चिकित्सक भी हैरान है। अनियमित दिनचर्या व खानपान ऐसे रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। बावूजद इसके लोग सतर्कता नहीं बरत रहे हैं।
आनुवांशिक नहीं रही बीमारी
-डायबिटीज (मधुमेह) शरीर में इंसुलिन की कमी से होती है। यह आनुवंशिक भी हो सकती है। साथ ही शरीर का भारी वजन भी बीमारी का कारण बन जाता है। जब यकृत (प्लीहा) में ग्लूकोज संरक्षण की क्षमता समाप्त हो जाती है, तभी यह बीमारी पनपती है। इसके मरीज को बार-बार पेशाब आने, मुंह सूखने, पैर की ङ्क्षपडलियों मे दर्द, थकान व कमजोरी की शिकायत रहती है। साथ ही त्वचा पर प्रभाव पड़ता है।
मधुमेह से हो रही बीमारियां
-जिला संयुक्त अस्पताल के चिकित्सक डॉ. गिरधर ङ्क्षसह चौहान का कहना है कि औसतन हर माह 500 मरीज उनके पास आ रहे हैं। मधुमेह से अब नई-नई बीमारियां पैदा हो रही हैं। मधुमेह की आशंका होते ही इलाज न शुरू किया जाए तो बाद में मरीजों में नेत्र, किडनी व दिल की बीमाििरयां बढऩे लगती है, जिससे मरीजों में तनाव बढ़ जाता है। उसके व्यवहार में रूखापन आ जाता है। नेत्र संबंधी विकार होनेे से भी मरीज में चिड़चिड़ापन आ जाता है। जो परिवार व समाज में कलह का कारण बन जाता है।
नियमित करें व्यायाम
-सुगर के मरीजों को नियमित व्यायाम करना चाहिए। शारीरिक श्रम अधिक से अधिक करना चाहिए। अंकुरित अनाज के सेवन के साथ संतुलित खान-पान रहना चाहिए। इलाज व परहेज से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।