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लखनऊ में उलमा सम्मेलन कल, इमाम बुखारी करेंगे अगुवाई

प्रदेश में ठहरी सी लग रही मुस्लिम सियासत में फिर हलचल नजर आ रही है। 20 फरवरी को सूबे केउलमा लोकसभा चुनाव में 'जीरो' होने की वजहों, समाजवादी सरकार में वादे पूरा करने में ढिलाई पर मंथन करेंगे और कौम की बेहतरी की राह पर भी चर्चा होगी।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2016 01:00 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2016 01:12 PM (IST)
लखनऊ में उलमा सम्मेलन कल, इमाम बुखारी करेंगे अगुवाई

लखनऊ। प्रदेश में ठहरी सी लग रही मुस्लिम सियासत में फिर हलचल नजर आ रही है। 20 फरवरी को सूबे केउलमा लोकसभा चुनाव में 'जीरो' होने की वजहों, समाजवादी सरकार में वादे पूरा करने में ढिलाई पर मंथन करेंगे और कौम की बेहतरी की राह पर भी चर्चा होगी।

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80 संसदीय सीटों वाले प्रदेश से लोकसभा में एक भी मुस्लिम नुमाइंदा नहीं है। अब विधानसभा चुनाव का समय करीब है, लिहाजा इस वर्ग के लोगों को राजनीतिक रूप से सचेत कर उनकी गोलबंदी का प्रयास भी शुरू हो गया है। पहल दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने की है। वह 20 फरवरी को लखनऊ में 32 जिलों के उलमा के साथ मजहबी और सियासी हालात पर मंथन करेंगे। मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी की सरकार निशाने पर होगी। उर्दू मीडियम स्कूलों की स्थापना, सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों को 18 फीसद आरक्षण, पुलिस-पीएसी में अल्पसंख्यकों की भर्ती के लिए विशेष कैम्प नहीं लगने के इल्जामों के साथ सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाएगा।

मौलाना बुखारी ने फोन पर 'दैनिक जागरण' से कहा कि अल्पसंख्यकों के बिखराव के चलते लोकसभा में उप्र के मुसलमानों की नुमाइंदगी 'जीरो' हो गयी है। अब विधानसभा चुनाव आ रहा है, ऐसे में उनमें चेतना जगाना जरूरी है। सपा सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपियों में कई पर मुकदमे वापसी का प्रयास शुरू कर दिया, मगर बेकसूर होने के बाद जेलों में बंद मुसलमान युवकों की रिहाई के प्रयास नहीं हुए। इन मुद्दों पर चर्चा होगी और उलमा को साथ लेकर भविष्य की राह तय की जाएगी। बुखारी कहते हैं कि सौ से अधिक विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान हार-जीत तय करने की भूमिका में रहते हैं। लिहाजा उनका गोलबंद होना जरूरी है।

मगर मौलाना की साख पर सवाल

यूं तो मौलाना अहमद बुखारी देश की सबसे बड़ी शाही मस्जिद के इमाम हैं और मुसलमान उनके पीछे अकीदत से नमाज पढ़ते हैं, मगर उनके सियासी रुख में बार-बार बदलाव से मुसलमानों के बीच उनकी साख पर सवाल भी उठता रहता है। उप्र विधानसभा चुनाव में उनका रुख सपा के प्रति सकारात्मक था। लोकसभा चुनाव के समय कांग्र्रेस के प्रति उनका रुख नरम था। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने 'आप' को समर्थन का एलान किया था।

विधानसभा में मुसलमान

समाजवादी पार्टी: 44

बहुजन समाज पार्टी: 15

कांग्रेस : पांच

पीस पार्टी: तीन

कौमी एकता दल : दो

भारतीय जनता पार्टी: 00

कुल मुसलमान विधायक: 70

कुल विधायकों की संख्या-403


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