लखनऊ के केजीएमयू में रात भर तड़पता रहा दो साल का बच्चा
बच्चे के पिता नूर हसन ने बताया कि डॉक्टर ने बताया था कि उसे दिमागी बुखार है और फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया है।
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। केजीएमयू के बाल रोग विभाग में दिमागी बुखार से पीड़ित दो साल के बच्चे की रेजिडेंट डॉक्टरों की लापरवाही से हालत गंभीर हो गई। परिजनों का आरोप है कि बच्चे की हालत ऑपरेशन के बाद ज्यादा खराब हो गई थी।
ड्रेनेज पाइप ब्लॉक हो गया था और उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। रात में रेजिडेंट डॉक्टरों से बताया गया, लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली। सुबह डॉक्टरों ने देखा तब तक उसकी हालत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी थी। श्रवस्ती निवासी दो साल के रिजवान को बुखार और पेट में दर्द की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था।
बच्चे के पिता नूर हसन ने बताया कि डॉक्टर ने बताया था कि उसे दिमागी बुखार है और फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया है, ऑपरेशन करना पड़ेगा। शनिवार को ऑपरेशन के बाद उसे ड्रेन पाइप लगा दिया गया। बच्चे को दिन भर बुखार रहा, देर रात उसका ड्रेन पाइप ब्लॉक हो गया। गंदा फ्लूड बाहर नहीं निकल रहा था, वहीं बच्चे का बुखार भी तेज हो गया।
वेंटीलेटर के लिए कहा दूसरे अस्पताल ले जाओ: नूर हसन ने बताया कि बच्चा हाथ-पैर चला रहा था, सांस भी नहीं ले पा रहा था। हालत देखने के बाद वो रेजिडेंट डॉक्टरों को बुलाने के लिए गए और बच्चे की हालत बताई, लेकिन उन्होंने एक भी नहीं सुनी। एक रेजिडेंट ने दूसरे के पास भेज दिया। जिसके बाद वह थक हारकर बैठ गया। वहीं रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा कि यहां वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है तुम ले आओ तो हम लगा देंगे।
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सुबह लगाया एंबू बैग: सुबह होने के बाद राउंड पर आए डॉक्टर ने बच्चे के मुंह पर एम्बु बैग लगा दिया। जिसके बाद बच्चे ने सांस लेना शुरू कर दिया है। नूर हसन के अनुसार रात भर किसी ने भी बच्चे को नहीं देखा।
क्या कहते हैं अधिकारी: केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार कहते हैं, मामला संज्ञान में ले लिया गया है। बच्चे की हर संभव मदद की जाएगी। इलाज में जिसने भी लापरवाही की है उसे सख्ती से देखा जाएगा।
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