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Faizabad Court Serial Blast : अयोध्‍या कचहरी सीरियल ब्लास्ट में दो आतंक‍ियों को उम्र कैद, साक्ष्‍यों के अभाव में एक बरी ayodhya news

13 साल बाद आया कचहरी सीरियल ब्लास्ट का फैसला। तीसरे अभियुक्त सज्जादुर्रहमान को बरी कर दिया गया। सज्जादुर्रहमान की रिहाई शनिवार को होगी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 08:13 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 03:05 PM (IST)
Faizabad Court Serial Blast : अयोध्‍या कचहरी सीरियल ब्लास्ट में दो आतंक‍ियों को उम्र कैद, साक्ष्‍यों के अभाव में एक बरी ayodhya news
Faizabad Court Serial Blast : अयोध्‍या कचहरी सीरियल ब्लास्ट में दो आतंक‍ियों को उम्र कैद, साक्ष्‍यों के अभाव में एक बरी ayodhya news

अयोध्या, जेएनएन। कचहरी सीरियल ब्लास्ट को अंजाम देने वाले आतंकवादियों तारिक काजमी व मोहम्मद अख्तर को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है। दोनों को लखनऊ सीरियल ब्लास्ट मामले में पहले ही इतनी ही सजा सुनाई जा चुकी है। तारिक काजमी को बाराबंकी विस्फोट बरामदगी मामले में भी सजा दी जा चुकी है। तीसरे अभियुक्त सज्जादुर्रहमान को बरी कर दिया गया।  चौथे अभियुक्त खालिद मुजाहिद की मौत मई 2013 में न्यायिक हिरासत में हो चुकी है। यह फैसला वारदात के करीब 13 साल बाद आया। 

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मोहम्मद अख्तर लखनऊ जेल से मंडल कारागार में लगी अदालत में नहीं लाया जा सका। जज अशोक कुमार ने उसे वीडियो कांफ्रेंस‍िंग के माध्यम से सजा सुनाई। सजा सुनाने के बाद तारिक काजमी को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में बाराबंकी जेल वापस भेज दिया गया। सज्जादुर्रहमान की रिहाई शनिवार को होगी। वह लखनऊ के सीरियल ब्लास्ट मामले में पहले ही दोषमुक्त किया जा चुका है।

अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता विजय ओझा ने बताया कि सजा पाए दोनों अभियुक्तों को धारा 302 (हत्या), 307 (जानलेवा हमला), 121 (राष्ट्रद्रोह), धारा 3/4  (विस्फोटक अधिनियम), धारा 16/20,18 व 23 (विधि विरुद्ध क्रिया कलाप अधिनियम) का दोषी पाया गया। कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को धारा 307 में भी 10-10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अभियुक्त 2008 से जेल में निरुद्ध हैं। जेल में काटी गई अवधि भी उसकी सजा में जुड़ेगी।

सुरक्षा के मद्देनजर मंडल कारागार में लगाई गई विशेष अदालत में एटीएस के अभियोजक अतुल ओझा, फैजाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय बहादुर ङ्क्षसह, पूर्व अध्यक्ष सूर्यभान वर्मा, अभियुक्तों के अधिवक्ता जमाल अहमद मौजूद थे। फैसले के मद्देनजर जेल के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। फैसले की जानकारी को लेकर शहर में भारी उत्सुकता रही। 

घटना की प्राथमिकी फैजाबाद बार एसोसिएशन के तत्कालीन महामंत्री मंसूर इलाही ने दर्ज कराई थी। उन्होंने मुकदमे में गवाही भी दी। अभियोजन पक्ष ने मुकदमे में अपराध को साबित करने के लिए 47 गवाहों को पेश किया। घटना के शिकार व चश्मदीद गवाह अधिवक्ता जेएन पाठक ने ही अभियुक्तों की पहचान भी की थी। मुकदमे की पैरवी में फैजाबाद बार एसोसिएशन की बड़ी भूमिका रही।

ये थी वारदात

अयोध्या : 23 नवंबर 2007 की दोपहर करीब एक बजे कचहरी के शेड नंबर चार में साइकिल बम में हुए विस्फोट से अधिवक्ता राधिका प्रसाद मिश्र समेत चार लोगों की मौत हुई थी। करीब 50 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। शेड नंबर 24 के बगल हुआ विस्फोट हल्का होने के कारण बड़ी क्षति नहीं हुई। सीरियल ब्लास्ट की विवेचना एटीएस ने की थी। 2008 में चारों अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपपत्र अदालत भेजा गया। आरोपपत्र के मुताबिक सीरियल ब्लास्ट के पीछे देशविरोधी आतंकी ताकतों की साजिश थी। आतंकवादियों ने अपने एक साथी वलीउल्लाह पर कचहरी में हुए हमले का बदला लेने व देश में इस्लामी राज कायम करने के लिए यह विस्फोट कराया था। 


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