कोरोना मरीजों के दिल की कवच बनीं दो दवाएं, बचा रहीं हार्ट अटैक से
कोरोना वायरस दिल पर भारी पड़ रहा है। यह जहां पहले से हृदय रोग के गिरफ्त में रहे रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन इंजेक्शन और हिपेरिन इंजेक्शन की डोज नसों में रक्त का थक्का जमने का खतरा टलता है।
लखनऊ [संदीप पांडेय]। कोरोना वायरस दिल पर भी अटैक कर रहा है। यह इंफ्लेमेशन (सूजन), रक्त में थक्का बनाकर जानलेवा बन रहा है। लिहाजा, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को दो दवाओं की डोज दी जाने लगीं। यह मरीज के दिल की कवच बन रही हैं। साथ में कई और खतरों से भी बचा रही हैं।
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कॉर्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. भुवनचंद्र तिवारी के मुताबिक कोरोना वायरस दिल पर भारी पड़ रहा है। यह जहां पहले से हृदय रोग के गिरफ्त में रहे रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। वहीं अस्पताल में भर्ती हुए कोविड के दूसरे मरीजों के लिए भी घातक है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस शरीर में इंफ्लेमेशन कर रहा है। साथ ही खून की नसों की अंदरूनी लेयर ’एंडोथेलियम’ में इंजरी कर रहा है। ऐसे में नस के अंदर रक्त स्राव होकर खून का थक्का जम रहा है। वहीं इंफ्लेमेशन व रक्त का थक्का जमने पर कोरोना मरीज में हार्ट अटैक व हार्ट फेल्योर हो रहा है। कोरोना के मॉडरेट मरीजों में यह खतरा अधिक हो रहा है। ऐसे में वह सीवियर हो रहे हैं। लिहाजा, गंभीर अवस्था में मरीजों को जाने से बचाने के लिए स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन इंजेक्शन दिया जाता है। यह इंजेक्शन शरीर में इंफ्लेमेशन रोकने में कारगर है। वहीं हिपेरिन इंजेक्शन की डोज नसों में रक्त का थक्का जमने का खतरा टलता है। लोहिया संस्थान के कोविड अस्पताल में सांस फूलने की समस्या होने पर, ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत महसूस होने से पहले मरीजों में दोनों दवाओं की डोज दी जा रही है।
मार्कर टेस्ट है अहम
डॉ. भुवन चंद्र के मुताबिक दोनों दवाएं हार्ट अटैक के साथ-साथ ब्रेन स्ट्रोक व फेफड़े में नुकसान से भी बचाती हैं। ऐसे में कोरोना मरीजों में हार्ट अटैक व अन्य घातक बीमारियों का खतरा टालने के लिए इंफ्लेमेट्री मार्कर टेस्ट अवश्य कराएं। इसमें आइएल-6, सीरम फेरिटिन, सीआरपी, एलडीएच, डी-डाइमर की वैल्यू देखकर मरीज के अंगों पर वायरस के दुष्प्रभाव का आंकलन कर सकते हैं। दोनों दवाओं की डोज देकर मरीजों को खतरे से बचाया जा सकता है।
हृदय रोगी रखें ध्यान, वायरस देंगे मात
डॉ. भवन चंद्र के मुताबिक हृदय रोगी में बीपी, कमजोर पंपिंग, धमनी में रुकावट की समस्या पहले से होती है। ऐसे में वासरस से इंफ्लेमेशन, नसों में थक्का जमना अधिक घातक हो सकता है। लिहाजा, हृदय रोगी दवाएं ब्रेक न करें। संक्रमण से बचाव के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। डॉक्टर से समय-समय पर फोन पर परामर्श लें। वहीं दिक्कत होने पर तत्काल अस्पताल में जाकर दिखाएं।