आतंकी हमले में शहीद हुए UP के दो लाल, बहादुर बेटों के खोने का गम और शहादत पर हैं नाज
लोगों और परिवार में आतंकी हमले में शहीद हुए अपने बहादुर बेटों को खोने का गम है तो वहीं उनकी शहादत पर नाज भी है।
लखनऊ, जेएनएन। श्री अमरनाथ यात्रा से पहले दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमले में उत्तर प्रदेश ने अपने दो जवानों को खो दिया। हमारे दोनों शहीद जवान शामली के सतेंद्र कुमार और गाजीपुर के महेश कुमार कुशवाहा सीआरपीएफ में कांस्टेबल पद तैनात थे। लोगों और परिवार में आतंकी हमले में शहीद हुए अपने बहादुर बेटों को खोने का गम है तो वहीं उनकी शहादत पर नाज भी है।
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार शाम हुए आतंकी मुठभेड़ में शहीद गाजीपुर जिले की नगर कोतवाली के जैतपुरा निवासी सीआरपीएफ जवान महेश कुशवाहा का पार्थिव शरीर गुरुवार की देर रात उनके घर पहुंचेगा। शहीद के अंतिम दर्शन को मानो पूरा जिला उमड़ पड़ा हो। लोगों में आतंक के पनाहगार पाक के प्रति आक्रोश रहा। अंतिम संस्कार शुक्रवार को गांव स्थित गंगा घाट पर किया जाएगा।
शादी के बाद सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे महेश
देश सेवा के भाव से भरे मेधावी महेश ने इंटर तक की पढ़ाई पूर्ण की। इसके बाद सेना भर्ती की तैयारी में लग गए। इसी दरम्यान वर्ष 2009 में वभनौली गांव निवासी निर्मला से उनकी शादी हो गई। शादी के बाद भी महेश ने अपनी तैयारी जारी रखी और करीब दो माह बाद ही सीआरपीएफ में भर्ती हो गए। पिता गोरखनाथ घर पर किराना स्टोर और आटा चक्की चलाकर परिवार की भरण पोषण करते थे। वहीं इनके बड़े भाई शिवशंकर कुशवाहा भी हाईस्कूल तक पढ़े हैं और करीब आठ वर्ष से अपने परिवार के साथ मुम्बई रहते हैं। महेश ने सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद पिता का आटा चक्की बंद करा दिया। हालांकि किराना स्टोर अभी भी है। दो भाइयों के अलावा महेश को तीन बहने हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। चूंकि परिवार में और कोई एेसा नहीं था जो माता-पिता की देखभाल कर सके इस वजह से महेश ने अपने भांजे विशाल व भांजी रिंकी को घर पर बुला रखा था।
गोली लगने के बाद भी मार गिराया
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों द्वारा पीछे से किए गए हमले में गोली लगने के बाद भी महेश कुशवाहा पीछे नहीं हटे। जांबाजी के साथ तुरंत मोर्चा संभालते हुए ताबड़तोड़ जवाबी फायरिंग करना शुरू कर दिए और एक आतंकी को मार गिराया। साथियों के मुताबिक उनके हौसले, फुर्ती और जज्बे को देखकर आतंकी भी थर्रा उठे। उनकी जुबानी महेश के जज्बे की कहानी सुन पूरा जनपद गौरवान्वित हो शहीद को सैल्यूट कर उठा।
पापा अभी अॉपरेशन चल रहा है, कल आएंगे
दो दिनों से बीमार चल रहे पिता ने फोन कर अपने नाजुक हालत की जानकारी बुधवार की सुबह अपने लाडले को दी। इस पर महेश ने कहा कि पापा आप पैसे की चिंता मत करिएगा, अपना इलाज अच्छे से कराइए अभी अॉपरेशन चल रहा है, कल हम आते हैं। गुरुवार से छुट्टी मिल गई है। इसके बाद कॉल कट गई। शाम तक सब सही था, लेकिन तभी पहले घात लगाए बैठे आतंकियों ने हमला कर दिया और मां भारती की रक्षा में तैनात सीआरपीएफ जवान महेश कुशवाहा वीर गति को प्राप्त हो गए। पिता गोरखनाथ अभी भी अपने जांबाज पुत्र के आने की आस लगाए हुए हैं। उनको अभी तक ये भी नहीं पता है कि उनका लाल देश की सुरक्षा करते-करते शहीद हो गया है।
टूट गई कच्ची गृहस्थी
अपने परिवार का एक मात्र सहारा रहे महेश के शहीद होते ही उनकी कच्ची गृहस्थी भी टूट गई। वर्ष 2009 में वभनौली निवासी निर्मला से महेश की शादी हुई। परिवार की माली हालत सही नहीं थी। शादी के कुछ माह बाद सीआरपीएफ में भर्ती हो गए। इसके बाद अपने परिवार की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने लगे। चाचा राजेंद्र प्रसाद के अनुसार बड़े भाई शिवशंकर भी मुम्बई में आटो चलाते हैं और परिवार के साथ वहीं रहते हैं।
पत्नी को सुबह हुई शहादत की जानकारी
परिवार के लोग बुधवार की रात 10 बजे ही जान गए थे कि महेश शहीद हो गए हैं, लेकिन पत्नी की भी हालत सही नहीं होने के कारण उसे बताए नहीं। सुबह होने पर सीआरपीएफ के अधिकारियों के काफी दबाव के बाद पत्नी से बता कराए। बात करते जैसे निर्मला को बताया गया कि उनके पति शहीद हो गए हैं तो वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी। कुछ देर बाद भी जब होश नहीं आया तो परिवारीजन उसे अस्पताल में भर्ती कराएं। जहां देर शाम तक इलाज चलता रहा।
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26 जून को है बेटे आदित्य का जन्मदिन
शहीद महेश कुशवाहा के बड़े बेटे आदित्य का 26 जून को जन्मदिन था। करीब दो-तीन पहले फोन पर हुए बात में महेश ने बताया था कि आ रहे हैं तो जन्मदिन काफी धूमधाम से मनाया जाएगा। बेटे के जन्मदिन को लेकर वह काफी प्रसन्न भी थे।
बचपन से ही थे बहुत साहसी
महेश कुशवाहा के चाचा राजेंद्र प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि रात करीब 10 बजे सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने फोन किया। कहा कि आपका बेटा बहुत ही बहादुर है। लहूलुहान होने के बाद भी न सिर्फ आतंकियों का डटकर मुकाबला किया बल्कि आतंकी को मौत के घाट भी उतार दिया। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां वह दम तोड़ दिए। महेश के पड़ोसी प्रमोद यादव ने बताया कि वह बचपन से ही बहुत साहसी था। डर तो उसके अंदर थी ही नहीं। जितना निडर उतना ही व्यवहार कुशल भी था। छोटे-बड़े हर किसी से बहुत साधारण भाव से मिलता और बातें करता था। अपने इस बहादुर जवान के खोने का गम तो है ही, लेकिन उनकी शहादत पर नाज है।
शहीद के घर पहुंचे सैकड़ों लोग
शामली के कांधला थाना क्षेत्र के गांव किवाना निवासी सतेन्द्र कुमार 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। सतेन्द्र कुमार के दो बेटे हैं। सतेन्द्र की मौत से गांव में गम का माहौल है। सैंकड़ों ग्रामीण शहीद के घर एकत्र हैं और परिवार को सांत्वना दे रहे हैं।
छह साल पहले हुई थी शादी
सतेन्द्र कुमार मुन्ना कश्यप के बड़े बेटे थे। जितेन्द्र और केशव सतेन्द्र के छोटे भाई हैं। मां का निधन हो चुका है। मुन्ना कश्यप व जितेन्द्र दूध कारोबार करते हैं। केशव ने इंटर की परीक्षा पास की है और वह सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है। सतेन्द्र की छह साल पहले शादी सोनिया से हुई और उनके दो बेटे दीपांशु व वाशु हैं। सतेन्द्र 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए और छत्तीसगढ़ नक्सल क्षेत्र में तैनात रहे। ढाई साल पहले ही सतेन्द्र का ट्रांसफर जम्मू-कश्मीर में हुआ था। फिलहाल वह अनंतनाग में तैनात थे।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में थे तैनात
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में पुलिस के साथ तैनात सतेन्द्र कुमार के टीम पर आतंकियों ने हमला किया। इसमें सतेन्द्र कुमार अपने पांच साथियों संग बहादुरी से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। देर रात सीआरपीएफ मुख्यालय से फोन पर परिवारीजन को सतेन्द्र कुमार की शहादत की सूचना दी गई। इससे पूरे परिवार में हाहाकर मच गया। गांव में जैसे ही यह खबर फैली हर कोई मुन्ना कश्यप के घर पहुंचा तथा उन्हें सांत्वना दी।
पत्नी का रो रोकर बुरा हाल
सतेन्द्र की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। मुन्ना कश्यप ने बताया कि सीआरपीएफ मुख्यालय से जानकारी दी गई कि शहीद का पार्थिव शरीर देर शाम तक गांव पहुंचेगा। शहीद के घर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। ग्रामीणों ने शहीद सतेन्द्र की याद में गांव में शहीद गेट, शहीद स्मारक, 50 लाख की आर्थिक मदद, बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा व परिवारीजन को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
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