अपार्टमेंट की लिफ्ट में फंस गए दो मासूम, चीख-पुकार सुनकर पहुंचे लोग
तीन महीने में दूसरी बार खराब हुई लिफ्ट, ब'चों की जान पर बनी। एलडीए से कई बार की निजी कंपनी की शिकायत, नहीं हुई सुनवाई।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। गोमती नगर विस्तार में 168 आवंटियों वाले कल्पतरु अपार्टमेंट में तीन महीने में दूसरी बार लिफ्ट फंसने से गुरुवार को दो बच्चों की जान पर बन आई। बच्चे आधा घटे तक लिफ्ट में रोते-चिल्लाते रहे, उसके बाद दोनों को बमुश्किल सुपरवाइजर की मदद से निकाला जा सका। आवंटियों का आरोप है कि कई बार एलडीए अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद लिफ्ट दुरुस्त नहीं की जा सकी है, ऐसे में किसी दिन कोई बड़ा हो सकता है। जिसके लिए जिम्मेदारी एलडीए के अधिकारियों की होगी।
चीख-पुकार सुनकर पहुंचे लोग
कल्पतरु अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर ई-904 में रहने वाले आरव सिंह पुत्र दीपक सिंह तथा दो ई-903 निवासी प्रिंस दुबे पुत्र संजय दुबे इस घटना का शिकार हुए हैं। दोनों दोस्त सुबह लिफ्ट से 9वें फ्लोर से नीचे जा रहे थे कि अचानक लिफ्ट बंद हो गई। आठवीं और सातवीं फ्लोर के बीच लिफ्ट बंद हो गई। लिफ्ट बंद होते ही पहले तो बच्चे समझे कि वे अपनी तय जगह पर पहुंच गई है, लेकिन फिर लगा कि गेट नहीं खुला। परेशान बच्चे रोने चिल्लाने लगे। करीब 10 मिनट बाद यहा के निवासियों को पता चला कि लिफ्ट में बच्चे फंस गए हैं।
बेल्चे की मदद से बच्चों को निकाला बाहर
रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े राजकुमार ने बताया कि लिफ्ट सुपरवाइजर को इसकी जानकारी दी गई। इस पर सुपरवाइजर अनिल व सिक्योरिटी गार्ड पंकज ने दोनों बच्चों को आठवें तल पर लिफ्ट को खींचकर निकाला। दोनों बेल्चे की मदद से लिफ्ट के गेट को आधा खोल कर बच्चों को बाहर निकाला गया। उनका आरोप है कि यहा आए दिन कोई न कोई लिफ्ट में फंसता है।
घबराए बच्चे बहुत देर तक बोल भी न सके
बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि बच्चे बहुत घबरा गए थे। चूंकि यह लिफ्ट अक्सर फंसती है, इसलिए बच्चों को लिफ्ट में अकेले न चलने की हिदायत दी गई थी। इस कारण आरव दोस्त को साथ लेकर गया था। दोनों बच्चे बहुत घबराए हुए थे और डर की वजह से बोल भी नहीं पा रहे थे।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
अधिशासी अभियंता चक्रेश जैन के मुताबिक, कल्पतरु अपार्टमेंट में लिफ्ट खराब होने की जानकारी है। हम यहां की सभी लिफ्ट को पूरी तरह से दुरुस्त करवाएंगे। ताकि आगे कोई हादसा न हो।