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कमाल के निकले ये मेधावी, पढ़ाई के साथ शौक भी जुड़वा

सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में स्कूल टॉप करने वाले दो जुड़वा भाइयों की शक्ल ही नहीं बल्कि आदतें भी एक सी हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 01:29 PM (IST)
कमाल के निकले ये मेधावी, पढ़ाई के साथ शौक भी जुड़वा
कमाल के निकले ये मेधावी, पढ़ाई के साथ शौक भी जुड़वा

लखनऊ, (कुसुम भारती)। जुड़वा बच्‍चों पर बनी फिल्मों में राम और श्याम, करण-अर्जुन, जुड़वा, सीता-गीता, चालबाज, जैसी कई फिल्में हैं, जो आज भी दर्शकों को याद होंगी। अमूमन जुड़वा बच्‍चों पर बनी फिल्मों में उनकी शक्ल-सूरत तो एक सी होती है, मगर व्यवहार में एक-दूसरे के विपरीत दर्शाए जाते हैं। मगर, सारे जुड़वा ऐसे नहीं होते। यह बात लागू होती है, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में स्कूल टॉप करने वाले दो जुड़वा भाइयों पर। जो विपरीत नहीं, बल्कि एक-दूसरे की फोटो कॉपी हैं। दोनों की शक्ल ही नहीं, बल्कि आदतें भी एक सी हैं।  

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साथ पढ़ते हैं, साथ खेलते हैं

सेंट एंथोनी पब्लिक स्कूल, पारा में पढ़ रहे, पीयूष अग्रवाल ने जहां 97.2 प्रतिशत अंक लाकर टॉप किया। वहीं, उनके जुड़वा भाई आयुष अग्रवाल ने 97 प्रतिशत से टॉप किया। पीयूष और आयुष दोनों अपनी सफलता साझा करते हुए कहते है कि हम हमेशा सात-आठ घंटे पढ़ाई करते हैं। यही हमारी सफलता की कुंजी है। साथ ही हम दोनों को शतरंज खेलने का भी शौक है। थोड़ा-बहुत टीवी भी देख लेते हैं, मगर सिर्फ स्पोट्र्स चैनल ही देखते हैं, क्योंकि पढ़ाई के साथ यह भी जरूरी है। मोबाइल से हमेशा दूर रहते हैं। हां, पढ़ाई में अगर जरूरत होती है, तो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, पर वह भी पापा के फोन से। वे कहते हैं, पापा शिवप्रकाश प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाते हैं और मम्मी गृहिणी हैं। हम दोनों का सपना परिवार और शहर का नाम रोशन करना है। 

इन्होंने भी बढ़ाया माता-पिता का मान

कुछ करने का जज्बा हो, तो सफलता जरूर मिलती है, भले ही परिस्थितियां विपरीत क्यों न हों। सेंट एंथोनी पब्लिक स्कूल में दीपांजलि त्रिपाठी और रागिनी यादव ने 96 प्रतिशत अंक लाकर इस बात को सच कर दिखाया। उन्होंने स्कूल ही नहीं, माता-पिता का नाम भी रोशन किया। खास बात यह है कि दोनों ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से हैं।

दीपांजलि के पिता प्रकाश नारायन त्रिपाठी प्राइवेट नौकरी करते हैं, मां बीना त्रिपाठी गृहिणी हैं। तो, रागिनी के पिता महेंद्र प्रताप यादव परिवहन विभाग में ड्राइवर और मां सीता यादव गृहिणी हैं। दोनों कहती हैं, हम स्कूल से आने के बाद रिवीजन जरूर करते हैं। इसीलिए हमें कभी ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ती। दीपांजलि का सपना आइएएस अधिकारी और रागिनी का सपना डॉक्टर बनना है।

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