वाट्सएप और फोन पर तीन तलाक को तलाक, दिक्कत होने पर अब महिलाएं खुद मांग रहीं तलाक
Triple Talaq केंद्र सरकार के कानून ने मुस्लिम महिलाओं के जीवन में होने वाली उथल-पुथल को थामा। तीन तलाक के मामलों पर काफी हद तक लगी लगाम।
लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। केस एक : अशर्फाबाद निवासी ने मुंबई की रहने वाली से 2013 में निकाह किया था। दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों पर तकरार हुआ करती थी। मामला बढ़कर चरित्र पर दोषारोपण तक पहुंच गया। शौहर रोज तलाक की धमकी देता। पिछले वर्ष कानून बना तो महिला ने कानूनी लड़ाई लडऩे का एलान किया। पति ने चरित्र हनन का आरोप लगाकर लीगल नोटिस भेज दी। हां, वह तीन तलाक बोलने की हिम्मत नहीं दिखा पाया।
केस दो : गोरखपुर के गोलधर निवासी ने यहीं के जफराबाजार निवासी पत्नी पर चरित्र हनन का आरोप लगाकर तलाकनामा भेज दिया। कानून के खौफ से उसने तीन तलाक तो नहीं बोला मगर तलाकनामा पोस्ट कर दिया। महिला ने राजधानी के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड से संपर्क किया और अब कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है।
बदले हालात के ये दो महज उदाहरण हैं। हकीकत में तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार के कानूूून पर बेशक हल्ला मचा, मगर साल भीतर स्थिति में बड़ा बदलाव सामने आया है। न केवल मामूली बात पर एक झटके में तलाक, तलाक, तलाक बोल देने की प्रवृत्ति पर लगाम लगी है बल्कि महिलाएं भी जागरूक हुई हैं।। ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ऐशबाग ईदगाह के दारुल कजा के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं।
एक साल में कम हुए तलाक
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बात करें तो 2018-19 में 120 मामले थे। कानून अमल में आने के बाद 2019-20 में यह संख्या 20 पहुंच गई है। ऐसे में यह साफ हो गया है कि लोगों में कानून का खौफ है।
फोन से नहीं आया एक भी मामला
कानून आने से पहले मोबाइल फोन से तलाक देने के मामलों की संख्या एक दर्जन से अधिक थी। बाद में एक भी मामला ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पास नही आया।
महिलाओं ने की पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तलाक देने की अपील
ऐशबाग ईदगाह के दारुल कजा में परिवारिक मामलों की सुनवाई होती है। कानून बनने के एक साल के अंदर महिलाओं में तलाक देने की अपील करने के मामले पुरुषों के मुकाबले ज्यादा आए हैं। दारुल कजा के आंकड़ों पर गौर करें तो एक जनवरी से दिसंबर 2019 तक कुल 315 मामले आए थे, जिनमेंं से 70 मामले तलाक और 60 मामले तीन तलाक के थे। 30 मामले खुला यानी महिलाओं की ओर से तलाक मांगने केे हैैं। एक जनवरी से जुलाई 2020 तक कुल 140 केस आए हैं। इनमे से 65 मामले तलाक के थे, जबकि खुला के मामलों की संख्या 45 थी।
'कानूनी पक्ष के साथ तलाक लेने वाले पुरुषों की संख्या अधिक है। शरीयत में आपसी समझौते के बाद ही तलाकनामा होता है, लेकिन लीगल नोटिस भेजकर तलाक देकर शरीयत को ये लोग नहीं मानते। इसके लिए मजहब के लोगों को भी आगे आकर कदम उठाना पड़ेगा।' -शाइस्ता अंबर, अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
'कानून में जेल जाने के प्रावधानों के चलते पुरुषों में तलाक देने के मामले कम आए हैं। पति पत्नी को अपसी सहमति से जीवन की गाड़ी चलानी चाहिए। ऐसा करें कि कानून की मदद न लेनी पड़े।' -मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, इमाम ईदगाह
...और ऐसे कवच बन गया कानून
पहले जहां पुलिस के पास पीडि़त महिलाओं की कतार लगी रहती थी, अब उसमें काफी हद तक कमी आ चुकी है। एक अगस्त 2019 के बाद यहां सिर्फ तीन मामले सामने आए हैं। इससे पहले करीब वर्ष 2019 में कुल आठ मामले दर्ज किए गए थे।
फोन पर पति ने दिया था तलाक, किया समझौता
वजीरगंज निवासी एक महिला को अक्टूबर 2019 में उसके पति ने फोन पर तीन तलाक दे दिया था। पीडि़ता ने महिला थाने में मामले की शिकायत की, जिसके बाद आरोपित पति के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई। कार्रवाई के डर से उसने समझौता कर लिया। राजधानी में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले वजीरगंज कोतवाली में दर्ज हैं। इनमे दो प्रकरण की विवेचना जारी है।
विवाद निस्तारण की प्रक्रिया
महानगर स्थित पुलिस उपायुक्त महिला अपराध एवं सुरक्षा कार्यालय में पति-पत्नी के विवादों का निस्तारण किया जा रहा है। दोनों पक्षों को नोटिस भेजकर बुलाया जाता है। अलग लग तारीखों में निरंतर काउंसिलिंग की जाती है। समझौता हो जाने के बाद भी तीन बार फॉलोअप किया जाता है। पीडि़ता के संतुष्ट होने पर फाइल बंद कर दी जाती है। समझौता नहीं होता है तो मामला थाने में भेज दिया जाता है
शिकायतें जो बढ़ाती रार
- पत्नी वाट्सएप पर चैट करती है
- दहेज उत्पीडऩ में फंसाने की धमकी देती है पत्नी। ।
- पति के घरवाले दहेज की मांग करते हैं।
- पति कुछ कमाता नहीं है।
- पत्नी मायके चली जाती है।
- पति के अवैध संबंध हैं।
- पत्नी बार बार पुलिस में जाकर फर्जी शिकायत करती है।