Move to Jagran APP

#metoo : यौन उत्पीडऩ की शिकायत पर महिला अधिकारी के साथ सीनियरों ने किया ऐसा

पूर्व निदेशक व सीनियर आइएएस पर यौन उत्पीडऩ का मामला, एफआइआर दर्ज। विभाग में शिकायत दर्ज कराने पर कर दिए पीडि़ता के कई तबादले।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:13 AM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 11:16 AM (IST)
#metoo : यौन उत्पीडऩ की शिकायत पर महिला अधिकारी के साथ सीनियरों ने किया ऐसा
#metoo : यौन उत्पीडऩ की शिकायत पर महिला अधिकारी के साथ सीनियरों ने किया ऐसा

लखनऊ, (जेएनएन)। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) के वर्ष 2012 में तत्कालीन निदेशक (प्रवर्तन) व सीनियर आइएएस डॉ एसएस धौन्क्रोक्ता के खिलाफ वर्ष 2012 में पीडि़त महिला अधिकारी की मां ने यौन उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसपर विभाग में कमेटी का गठन करके जांच हुई। इस बीच डॉ एसएस धौन्क्रोक्ता ने महिला अफसर को प्रताडि़त कर जुल्म की इंतहा कर दी।

loksabha election banner

कमेटी ने एक हजार पन्ने की रिपोर्ट में वर्ष 2015 में ही डॉ. धौन्क्रोक्ता को दोषी बताया था। फरवरी 2017 में रिपोर्ट दी गई, जिसमें छेड़खानी, अश्लील हरकतें, षडयंत्र समेत अन्य आरोपों की पुष्टि हुई। तब तक डॉ धौन्क्रोक्ता सेवानिवृत्त हो चुके थे लेकिन, उनके इशारे पर मौजूदा सीईओ ने वर्ष 2017 में ही रिपोर्ट रोक ली। इसके बाद रिपोर्ट दबाकर जबरन पीडि़ता को स्टडी लीव पर भेज दिया गया। अब तक उन्हें विभाग में ज्वाइन नहीं कराया गया। मंगलवार को डॉ एसएस धौन्क्रोक्ता व उनका साथ देने में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली में बतौर सेक्शन अफसर तैनात सुनील भदौरिया के खिलाफ अलीगंज थाने में एफआइआर दर्ज हुई है। एएसपी ट्रांसगोमती हरेंद्र कुमार ने बताया कि पुरनिया चौकी प्रभारी बृजेश कुमार को मामले की विवेचना सौंपी गई है। एफआइआर में नामजद आरोपितों के बयान दर्ज करने के साथ आगे की कार्रवाई की जाएगी।   

लगातार तबादलों से पीडि़ता अवसाद में
पीडि़त महिला अफसर के मुताबिक उसका कसूर बस इतना था कि अपने विभाग के तत्कालीन निदेशक के खिलाफ यौन उत्पीडऩ की शिकायत की थी, जिसपर अप्रैल 2016 में महिला का लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया। तीन महीने बाद ही आठ अगस्त 2016 को दिल्ली से चेन्नई तबादला कर दिया। महिला ने विभागीय अफसरों को पत्र लिखकर बताया कि उनकी मां की तबियत ठीक नहीं है, इसलिए उनकी तैनाती दिल्ली में ही रहने दी जाए लेकिन, किसी ने एक न सुनी। मां ने शिकायत दर्ज कराई थी तो पीडि़ता को उनसे ही दूर कर दिया गया। कई तबादलों से परेशान पीडि़त महिला अफसर अवसाद में चली गई थी।

पीडि़ता ने की गिरफ्तारी की मांग
पीडि़त महिला अधिकारी ने पूर्व सीनियर आइएएस डॉ एसएस धौन्क्रोक्ता व उनका साथ देने वाले सुनील भदौरिया की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। पीडि़त महिला ने बताया कि इंटरनल कम्प्लेंट कमेटी फॉर सेक्सुअल हरैसमेंट ऑफ वीमेन एट वर्क प्लेस की जांच में डॉ. धौन्क्रोक्ता दोषी पाए गए थे। भदौरिया पर भी आरोप साबित हुए थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जून 2015 को ही एफआइआर की सिफारिश की थी लेकिन, रिपोर्ट को दबा दिया गया। कोई कार्रवाई न होता देखकर पीडि़ता ने अलीगंज पुलिस को विभाग की रिपोर्ट दिखाकर संपर्क किया था।

पीडि़त महिला अफसर ने दस दिन पहले ही दी थी तहरीर
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) के पूर्व निदेशक (प्रवर्तन) डॉ. एसएस धौन्क्रोक्ता व सेक्शन अफसर सुनील कुमार भदौरिया के खिलाफ उनके विभाग की पीडि़त महिला अफसर ने बीस अक्टूबर को ही अलीगंज थाने में यौन उत्पीडऩ की तहरीर दी थी लेकिन, अलीगंज पुलिस ने एफआइआर दर्ज करने में दस दिन का समय लगा दिया। पूरे मामले को दबाए रखा। पीडि़त महिला का कहना है कि संबंधित अधिकारियों ने उन्हें बताया कि दिल्ली में बैठे उनके अधिकारियों को मेल करके यह पूछा गया कि दिल्ली में तो कोई एफआइआर नहीं दर्ज कराई गई है। इसकी पुष्टि हो जाने के बाद अलीगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। दिल्ली में एफआइआर न दर्ज होने की पुष्टि करने में पुलिस को दस दिन का समय लगा।

करियर भी किया खराब
पीडि़त महिला अफसर ने बताया कि विभाग के सीईओ ने मनमाने तरीके से अप्रेजल करके उसका आगे का करियर भी खराब करने का पूरा प्रयास कर दिया है, जिससे महिला अफसर का प्रमोशन न हो। पीडि़ता ने बताया कि कमेटी गठित करके जांच कर रहे एफएसएसएआइ के अधिकारियों को रिपोर्ट आने पर एफआइआर दर्ज करानी थी लेकिन, जांच पूरी करने में छह साल का समय लगा दिया गया।

महिला के खिलाफ ही दर्ज करा दिया मामला
पीडि़त महिला अफसर ने बताया कि विभागीय अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट दबा दी और डॉ. एसएस धौन्क्रोक्ता ने इस बीच कैट और दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में उनके खिलाफ केस दर्ज करा दिया। कैट ने नोटिस भेजा तो विभाग के सीईओ ने उसे भी दबा दिया। इसके बाद कंपनी की डायरेक्टर ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि वह पीडि़ता की स्वीकृति पर उसके मामले का प्रतिनिधित्व करेंगी। जिसके बाद आरोपित पक्ष ने उन्हें वकील भी कर दिया। जब पीडि़ता को पता चला तो उन्होंने अपना वकील किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.