सिग्नल होने पर भी ड्राइवर ने ब्रेक नहीं लगाया ताे भी रुक जाएगी ट्रेन
पहली बार बाहर लेकर आया जापान अपनी तकनीक। इनो रेल में खास है जर्मनी की तकनीक।
लखनऊ, जेएनएन। आरडीएसओ में चल रही अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी इनो रेल के तीसरे संस्करण में जर्मनी की तकनीक लोगों को खासा आकर्षित कर रही है। इनो रेल में शुक्रवार को भावी तकनीक को लेकर मंथन भी हुआ।
इनो रेल में जापान की बुलेट ट्रेन के साथ वहां की ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन टेक्नोलोजी पहली बार किसी देश के सामने लायी गई है। यह डिवाइस पटरी और इंजन पर लगेगी। सिग्नल के 900 मीटर करीब पहुंचते ही इंजन का अलार्म बज उठेगा। यदि ट्रेन ड्राइवर किसी कारणवश या नशे में होने के कारण इसको बंद नहीं करता है तो ट्रेन 100 मीटर पहले खुद ही रुक जाएगी। यदि कोई शरारती तत्व ट्रेन को सिग्नल के आगे तक ले जाना चाहे तो पटरी पर लगी डिवाइस के कारण सिग्नल खुद ही बंद हो जाएगा।
जर्मनी की कंपनी वागो भारत में 12 हजार हार्सपावर की क्षमता वाले इंजन बनाएगा। इसके प्रोटोटाइप का ट्रायल आरडीएसओ कर रहा है। यह छह हजार हार्सपावर वाले दो इंजनों को जोड़कर तैयार किया गया है। वागो के अधिकारियों के मुताबिक यह इंजन इलेक्ट्रिक और डीजल दोनों के साथ दौड़ सकता है। इसकी स्पीड 300 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होगी। कंपनी भारत में तेजस और गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में भी अपनी स्प्रिंग टेक्नोलाजी मुहैया करा रहा है। पहले ट्रेनों में पेंचों का इस्तेमाल होता था। इस नई तकनीक से यात्रियों को सफर के दौरान झटके कम महसूस होंगे।
इनो रेल प्रदर्शनी के दूसरे दिन सेमिनार में 14 देश व 120 कंपनियों के प्रतिनिधियों ने आरडीएसओ के साथ मिलकर एक दूसरे के साथ अपनी तकनीक को साझा किया। रेलवे में बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए इनो रेल में तकनीक का आदान प्रदान किया गया।