ट्रेन 18 आरडीएसओ के इम्तिहान में हुई पास, रेलवे बोर्ड को भेजी रिपोर्ट
चार चरणों की फाइनल रिपोर्ट सुझावों के साथ रेलवे बोर्ड भेजी, मेजर प्रशांत सिंह के नेतृत्व में हुआ था चार चरणों का ट्रायल।
लखनऊ [निशांत यादव] । देश की पहली बिना इंजन वाली सेमी हाइस्पीड ट्रेन 18 अब किसी भी समय दौड़ सकती है। इस ट्रेन को चलाने के लिए अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) की क्लीयरेंस मिल गई है। मेजर प्रशांत सिंह की नेतृत्व वाली टीम ने रिकॉर्ड एक महीने के भीतर ट्रायल पूरा कर दिया है। शुक्रवार शाम रेलवे बोर्ड को आरडीएसओ ने चौथे और अंतिम चरण की फाइनल रिपोर्ट भेज दी है।
ट्रेन 18 को चलाने से पहले आरडीएसओ की क्लीयरेंस जरूरी थी। रेल कोच फैक्ट्री से ट्रेन 18 का 16 बोगियों वाला सेट निकला तो पहले नॉन राजधानी रूट मुरादाबाद पर लाकर 115 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से ट्रायल किया गया। इसके बाद राजधानी रूट पर कोटा मंडल में यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति भी पार कर गई। इसके बाद 10 प्रतिशत गति कम करके 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से गीली पटरी और सूखी पटरी पर ट्रेन दौड़ाकर इमरजेंसी ब्रेक व गति नियंत्रण को परखा गया। आरडीएसओ ने चौथा और अंतिम कंफामेंट्री आइशोलेशन ट्रायल 29 दिसंबर को गाजियाबाद से प्रयागराज तक दोनों दिशाओं में किया। चौथी रिपोर्ट का ड्राफ्ट सभी निदेशालयों को भेजा गया। वहां से अधिकारियों के कमेंट लिखकर अंतिम रिपोर्ट रेलवे बोर्ड भेज दी गई। जिसके तहत अब बोर्ड ट्रेन 18 का संचालन शुरू कर सकता है।
लखनऊ का ट्रेन 18 से है खास नाता
ट्रेन 18 की कल्पना करके जहां शहर के एस. मणि ने उसे साकार किया। वहीं शहर के ही मेजर प्रशांत सिंह ने ट्रेन 18 का एक माह के भीतर चार बड़े ट्रायल करने का रिकॉर्ड बनाया। मेजर प्रशांत सिंह भारतीय रेलवे मैकेनिकल इंजीनियरिंग सर्विस के 2000 बैच के अधिकारी हैं। वर्ष 2005 में प्रतिष्ठित रेलमंत्री अवार्ड जीतने वाले वह सबसे कम उम्र के अधिकारी बने। मेजर प्रशांत सिंह प्रादेशिक सेना की रेलवे इंजीनियरिंग ब्रिगेड के अफसर हैं।