अब नहीं हो सकेगी भ्रूण लिंग की अवैध जांच, पोल खोलेगी मशीन
प्रदेश के कई जिलों में लिंगानुपात में काफी गिरावट आ रहा है, वहीं अल्ट्रासाउंड सेंटरों में चल रहे खेल पर निगरानी करना मुश्किल हो रहा है।
लखनऊ (संदीप पांडेय)। गर्भ में बेटियों की जिंदगी का सौदा करने वालों की अब खैर नहीं। सरकार ने बेलगाम अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर शिकंजा कसने का खाका तैयार कर लिया है। अब वह 'मुखबिर' योजना के बाद सेंटरों पर ट्रैकर सिस्टम लगाने पर विचार कर रही है।
दरअसल प्रदेश के कई जिलों में लिंगानुपात में काफी गिरावट आ रहा है। वहीं अल्ट्रासाउंड सेंटरों में चल रहे खेल पर निगरानी करना मुश्किल हो रहा है। लिहाजा राज्य सरकार ने भ्रूण लिंग की जांच पर लगाम लगाने के लिए 'मुखबिर' योजना के साथ-साथ तकनीक को भी एडॉप्ट करने का फैसला किया है।
लिहाजा लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटरों में ट्रैकर सिस्टम अनिवार्य किया जाएगा। इसको लेकर संयुक्त निदेशक परिवार कल्याण के नेतृत्व में बनी टीम ने संबंधित रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
झांसी जिला प्रशासन ने की पहल: संयुक्त निदेशक परिवार कल्याण डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर झांसी जिला प्रशासन ने आधा दर्जन निजी सेंटरों पर ट्रैकर सिस्टम लगवाया है। ऐसे में चार माह पूर्व बलरामपुर अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. ऋषि कुमार, डफरिन अस्पताल की डॉ. संगीता श्रीवास्तव को तकनीक के अध्ययन के लिए झांसी भेजा गया था। रिपोर्ट मिलने पर पूरा प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेज दिया गया है।
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प्रोब की हर लोकेशन होगी रिकॉर्ड: विशेषज्ञों के मुताबिक ट्रैकर अल्ट्रासाउंड मशीन में लगेगा। इसमें डाटा स्टोर की क्षमता होगी। साथ ही पेंशेंट रिकॉर्ड, मशीन के ऑपरेट होने और ऑफ होने का समय, अल्ट्रासाउंड का प्रोब शरीर के किस अंग पर गया, कितनी देर तक संबंधित अंग की डायग्नोस पर फोकस किया गया। यह पूरी रिपोर्ट विजुअल के साथ रिकॉर्ड होगी।
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