Coronavirus Effect : कोरोना की मार से ढेर यूपी का पर्यटन उद्योग, घरेलू पर्यटन को अब 'ईश्वर' से आस
उत्तर प्रदेश धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का बड़ा केंद्र है इसलिए निकट भविष्य की संभावनाओं को तलाशते हुए धर्मस्थलों पर सुरक्षित आवागमन की रूपरेखा सरकार बनाएगी।
लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। कोरोना की मार से यूं तो सभी उद्योग और धंधों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन इस संक्रमण ने पर्यटन उद्योग को पूरी तरह अनिश्चितता भरे अंधेरे में धकेल दिया। फिलहाल ऐसी कोई उम्मीद नजर नहीं आती कि कोई सैलानी दुनिया के सैर-सपाटे पर निकले। ऐसे में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने भी अब घरेलू पर्यटन को ही लक्ष्य बनाकर तैयारी शुरू कर दी है।
चूंकि, उत्तर प्रदेश धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का बड़ा केंद्र है, इसलिए निकट भविष्य की संभावनाओं को तलाशते हुए धर्मस्थलों पर सुरक्षित आवागमन की रूपरेखा बनाने के लिए जल्द ही सरकार धर्मोचार्यों के साथ एक बैठक भी करने जा रही है।
गौरतलब है कि तमाम आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लाने की कसरत तेज हो गई मगर, पर्यटन उद्योग अभी भी सहमा खड़ा है। चूंकि, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए तमाम सावधानियां रखनी हैं, इसलिए होटल बंद हैं। अभी कहीं भी आवागमन की पहले जैसी स्वतंत्रता नहीं है तो पर्यटन उद्योग चल भी नहीं सकता। हालांकि यह माना जा रहा है कि घरेलू पर्यटन को सावधानीपूर्वक फिर बहाल किया जा सकता है।
पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कुल पर्यटन का 80 फीसद घरेलू ही है। इसके सहारे ही पर्यटन उद्योग को फिर खड़ा करने का प्रयास है। उसमें भी धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के लिहाज से उत्तर प्रदेश बहुत समृद्ध है। लॉकडाउन खुलने के बाद देशवासी तो मथुरा-वृंदावन, काशी, नैमिषारण्य, चित्रकूट, विंध्यवासिनी, अयोध्या जाना ही चाहेंगे। हमें ख्याल यह रखना है कि स्वास्थ्य सुरक्षा का पूरा प्रबंध हो। इस आवागमन से संक्रमण न फैले। इन सारे बिंदुओं पर सुझाव लेने के लिए जल्द ही धर्माचार्यों के साथ एक बैठक भी होने जा रही है।
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पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि उत्त प्रदेश की विभिन्न पर्यटन संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ वेबिनार आदि के माध्यम से बातचीत की गई है। उनसे पूछा गया है कि घरेलू पर्यटन कोरोना की चुनौतियों को मात देते हुए कैसे फिर शुरू हो सकता है। सभी ने अपने सुझाव दिए हैं। विशेषज्ञों के अलावा विभागीय अधिकारियों ने इस पर काम किया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में भी इसे लेकर बातचीत हुई है।