जागरण संवादी के दूसरे दिन कहानी, संस्मरण समेत और भी बहुत कुछ
"जो व्यक्ति रात्रि के चार प्रहरों में चार बार चौबोली के मुंह से कुछ भी बुलवा दे, उसी से वह शादी करती और नहीं तो उसे सजा। यही बताने आया है "जागरण संवादी"।
लखनऊ(जेएनएन)। अब तक कितने ही राजा अपने प्रयास में विफल होकर चौबोली की कैद में थे।
और शर्त भी क्या थी भला, "जो व्यक्ति रात्रि के चार प्रहरों में चार बार चौबोली के मुंह से कुछ भी बुलवा दे, उसी से वह शादी करती और नहीं तो फिर उसे सजा।"अब कैसे इस शर्त को पूरा करें। कैसे अपनी पत्नी की चुनौती का सामना करें। यही बताने आया है है "जागरण संवादी"। संवादी के दूसरे दिन राजस्थान की लोक-कथा पर आधारित ‘दास्तान-ए-चौबोली’ के साथ दास्तानगोई की अज़ीम-अो-शान कला लेकर आ रहे हैं, अंकित चड्ढा और दारेन शाहिदी।
आओ करें खुलकर संवाद, संगीत नाटक एकेडमी में साहित्यिक परिचर्चा
जागरण संवादी : विचारों की सुंदरता में जन्म लेती है कहानी
यह होंगे कार्यक्रम
विषय : आने वाले कल की कविता चयनकर्ता : कृष्ण कल्पित, प्रशांत इंगोले। समय : अपराहन तीन बजे
-विषय : छोटे पर्दे पर साहित्य के लिए जगह वक्ता : अरविंद बब्बल एवं जामा हबीब
संवाद : अनिरुद्ध पाठक समय : शाम चार बजकर 10 मिनट
संवादी : भाषा के रूप में भावनाओं की अभिव्यक्ति
-विषय : नई किताबें, नया कहन वक्ता : रश्मि, गिरींद्र नाथ झा, प्रभात रंजन एवं आशुतोष शुक्ल।
-संवाद : सत्यानंद निरूपम समय : शाम चार बजकर 50 मिनट
-रेखा : एक अनकही कहानी (फिल्म अभिनेत्री रेखा के अनछुए पहलुओं पर बातचीत)लेखक यासिर उस्मान से विनोद अनुपम का संवाद
-विषय : नई कथा भाषा, नया लोक, नया समय वक्ता : अखिलेश हृषिकेश सुलभ और बद्रीनारायण
-संवाद : प्रेम भारद्वाज समय : रात सात बजकर 40 मिनट
-आधी ताकत, पूरी हिम्मत (खेल-खेल में)वक्ता : पैरा ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट समय : रात नौ बजे
-बड़ा भांड तो बड़ा भांड कथा विजयदान देथा की प्रस्तुति : अजय कुमार
गहराई व गूढ़ता भाषा में नहीं विचारों में होती है : सौरभ शुक्ला