113 दिन बाद लखीमपुर के जंगल में छोड़ा गया किशनपुर का बाघ, एक माह तक होगी निगरानी
जंगल में 17 दिसंबर 2020 को किशनपुर के कटैया बीट में कैमरा ट्रैप से मिली तस्वीरों में एक नर बाघ के गर्दन में नॉयलान की रस्सी लगी दिखाई दी थी। उस दिन वनकर्मियों ने छानबीन कर खुशीराम पुत्र रामअवतार निवासी ग्राम कटैय्या को पकड़ लिया गया था।
लखीमपुर, जेएनएन। किशनपुर जंगल में घूम रहे फंदे वाले बाघ को आखिरकार बेहोश करने में सफलता मिल गई। किशनपुर में विशेषज्ञों की टीम ने घंटों मशक्कत के बाद बाघ को डॉट्स मारी, बाघ के बेहोश होते ही अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर उसे पिंजरे में कैद किया, बाद में उसके गले से नायलॉन की रस्सी का फंदा निकाल लिया। अधिकारी इसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं।
जंगल में 17 दिसंबर 2020 को किशनपुर के कटैया बीट में कैमरा ट्रैप से मिली तस्वीरों में एक नर बाघ के गर्दन में नॉयलान की रस्सी लगी दिखाई दी थी। उस दिन वनकर्मियों ने छानबीन कर खुशीराम पुत्र रामअवतार निवासी ग्राम कटैय्या को पकड़ लिया गया था, उसकी निशानदेही पर गांव से सटे वनक्षेत्र से रस्सी का दूसरा हिस्सा बरामद कर लिया गया। बाघ की गर्दन से रस्सी हटाने के लिए मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से अनुमति लेकर अभियान शुरू किया। कई बार बाघ को बेहोश करने के नजदीकी मिले, घने जंगलों, जलस्रोतों, बाघ बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अभियान में कठिनाई आने लगी। बाघ की जान बचाने के लिए फैसला हुआ कि निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी। आखिर 113 दिन के प्रयास व मेहनत के कारण बाघ को हाथियों गंगाकली, चमेली व डायना के सहयोग से गुरुवार की शाम बाघ को बेहोश किया गया। बाद में नॉयलान की रस्सी के फन्दे से अवमुक्त कराया गया।
इलाज के बाद जंगल में छोड़ा: बाघ की गर्दन में ऊपर की ओर सतही घाव पाया गया, जिसका समुचित इलाज करते हुए बाघ का सम्पूर्ण चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। बाघ को पूर्ण रूप से स्वस्थ पाया गया। जिसके बाद मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के निर्देश पर फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक, उप निदेशक बफर जोन डॉ. अनिल पटेल, डा. मुदित गुप्ता की मौजूदगी में बाघ को सकुशल उसके प्राकृतवास में छोड़ दिया गया।
एक माह होगी निगरानी: बाघ की गतिविधियों की निगरानी पहले की ही तरह अगले एक माह के लिए जारी रहेगी।
ये रहे टीम में: अभियान उपनिदेशक मनोज सोनकर के नेतृत्व में चलाया गया, जिसमें तौफीक अहमद, वन्य जीव प्रतिपालक किशनपुर, शत्रोहन लाल प्रभारी क्षेत्रीय वन अधिकारी , किशनपुर, अपूर्वा जीव विज्ञानी दुधवा टाइगर रिजर्व प्रभाग, रमेश चन्द्र मौर्या आदि शामिल रहे।
इनसे मदद लेती रही टीम: इस अभियान में समय -समय पर डॉ. उत्कर्ष शुक्ला उप निदेशक लखनऊ प्राणि उद्यान, डॉ. आर के सिंह वरिष्ठ पशुचिकित्सक, डॉ. सर्वेश तत्कालीन पशुचिकित्सक कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग तथा डॉ. दुष्यन्त, पशुचिकित्सक कार्बेट टाइगर रिजर्व का भी सहयोग रहा।
खोला गया पर्यटन: इस अभियान की सफलता के साथ ही किशनपुर रेंज में पूर्व में बन्द किए गए पर्यटन क्षेत्रों को अब पर्यटकों के लिए खोलने के आदेश दे दिए गए हैं।