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अब छोटी आंत से बच्चों में बनेगा मूत्राशय, पांच हजार में एक को होती है यह परेशानी Lucknow News

लखनऊ पीजीआइ संस्‍थान ने शुरू किया बच्‍चों में मूत्राशय बनाने के साथ स्फिंटर रिपेयर नर्व स्‍टुमुलेटर से खोजी बिखरी स्फिंटर नर्व। तीन वर्षीय बच्‍चे को दिलाई इस परेशानी से मुक्ति।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 09:44 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 08:37 AM (IST)
अब छोटी आंत से बच्चों में बनेगा मूत्राशय, पांच हजार में एक को होती है यह परेशानी Lucknow News
अब छोटी आंत से बच्चों में बनेगा मूत्राशय, पांच हजार में एक को होती है यह परेशानी Lucknow News

लखनऊ [कुमार संजय]। तीन वर्षीय सोनू का मूत्राशय और मूत्र नलिका जन्म से ही नहीं बनी थीं। इस कारण पेशाब हमेशा टपकता रहता था। शरीर से हमेशा बदबू आती रहती थी। पैंट गीली रहती थी। संजय गांधी पीजीआइ के पीडियाटिक यूरोलॉजिस्ट प्रो. एमएस अंसारी ने सोनू को इस परेशानी से मुक्ति दिला दी। अब सोनू दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जाकर मां-बाप के सपने सच कर सकेगा।

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जौनपुर निवासी रामू के परिवार में जब बच्चे ने जन्म लिया तो खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन यह खुशी ठहर नहीं सकी। जब देखा कि बच्चे के पेशाब लगातार टपक रहा है। कई डॉक्टरों को दिखाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जांच के बाद पता चला कि बच्चे का मूत्राशय पूरा बना ही नहीं है। इसके साथ ही मूत्र नलिका भी नहीं बनी है। इसी कारण किडनी से पेशाब लगातार बह रहा है। इस बीमारी को डॉक्टरी भाषा में एक्सट्राफी एसपीस्पेडियास कहते हैं।

पांच हजार में एक को होती है यह परेशानी

हर पांच हजार जन्म लेने वाले बच्चों में से एक में यह परेशानी होती है। प्रो. अंसारी के मुताबिक छोटी आंत का 15 सेमी का टुकड़ा लेकर मूत्राशय बनाया। इसे किडनी से निकलने वाली पेशाब की ट्यूब से जोड़ दिया गया। इसके साथ लिंग में मूत्र नलिका भी बना दी गई।

पेशाब पर नियंत्रण के लिए पहली बार शुरू किया स्फिंटर रिपेयर

बालक में मूत्राशय के भरने पर पेशाब अपने आप हो जाता था। इस परेशानी को खत्म करने के लिए छह महीने बाद मूत्राशय के पास पेशाब पर नियंत्रण रखने वाला स्फिंटर जो बिखरा पड़ा था, उसे नर्व स्टिम्यूलेटर से खोजकर रिपेयर किया गया, जिससे बालक पेशाब पर भी नियंत्रण रखने लगा। गौरतलब है कि मूत्राशय बनाने की सजर्री पहले भी होती रही, लेकिन स्फिंटर को रिपोयर करने का काम शुरू किया गया है। खास बात यह रही कि बिखरे हुए स्फिंटर को खोज कर उसे रिपेयर किया गया। यह सजर्री कम संस्थानों में ही होती है। इसे कंप्लीट सजर्री कहते हैं।

समय पर मूत्राशय न बनाने पर खराब हो जाती है किडनी

प्रो. अंसारी के मुताबिक, समय पर सही सर्जरी कर इस बीमारी का इलाज न होने पर बार-बार संक्रमण (यूरो सिस्टम) होता है। इस कारण किडनी खराब हो जाती है। हमारे पास इस बीमारी से ग्रस्त तमाम बच्चे 15 से 16 वर्ष की उम्र में आते हैं। किडनी खराब होने के बाद रिपेयर करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए शिशु का पेशाब टपक रहा है तो तुरंत सलाह लेना जरूरी है। स्फिंटर रिपेयर की सर्जरी इन मामलों में हम लोगों ने पहली बार शुरू की है। देश के दूसरे सेंटर पर बच्चों में केवल मूत्राशय ही बनाया जाता है।


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