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Bike Boat Scam: आरोपित बसपा नेता के भाई समेत तीन गिरफ्तार, दो पर था 50-50 हजार रुपये का इनाम

Bike Boat Scam ईओडब्ल्यू ने एसटीएफ की मदद से की कार्रवाई। दो पर था 50-50 हजार रुपये का इनाम। शासन के निर्देश पर ईओडब्ल्यू बाइक बोट कंपनी के संचालकों के विरुद्ध गौतमबुद्धनगर में दर्ज कराए गए 57 मुकदमों की विवेचना कर रही है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:16 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 06:02 AM (IST)
Bike Boat Scam: आरोपित बसपा नेता के भाई समेत तीन गिरफ्तार, दो पर था 50-50 हजार रुपये का इनाम
न‍िवेशकों को आकर्षक योजनाओं का झांसा देकर फंसाया गया था।

लखनऊ, जेएनएन। बहुचर्चित करोड़ों रुपये के बाइक बोट घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की मदद से तीन आरोपितों को गौतमबुद्धनगर से गिरफ्तार किया है। इनमें बाइक घोटाले के मुख्य आरोपित बसपा नेता संजय भाटी का भाई सचिन भाटी भी शामिल है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी बाइक बोट घोटाले में केस दर्ज कर छानबीन कर रहा है। डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि आरोपित सचिन भाटी के अलावा संजय भाटी के चचेरे भाई पवन भाटी व कर्मचारी करण पाल को गिरफ्तार किया गया है। करण पाल रिटायर सैन्यकर्मी है।

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पकड़े गए आरोपित सचिन भाटी व करण पाल पर पचास-पचास हजार रुपये का इनाम घोषित था। शासन के निर्देश पर ईओडब्ल्यू बाइक बोट कंपनी के संचालकों के विरुद्ध गौतमबुद्धनगर में दर्ज कराए गए 57 मुकदमों की विवेचना कर रही है। डीजी ने बताया कि सचिव व पवन भी कंपनी में निदेशक थे। पवन भाटी की भूमिका निवेशकों काे डरान-धमकाने में भी रही है। आरोपित करण पाल वर्ष 2009 में सेना से रिटायर होने के बाद एक निजी कंपनी में काम करता था। वह नेटवर्किंग का काम करता था और उसे करीब 50 हजार रुपये वेतन मिलता था। संजय भाटी ने करण पाल को अपनी कंपनी में दो लाख रुपये मासिक वेतन पर नौकरी दी थी आैर बाइक बोट स्कीम को आगे बढ़ाने में उसकी भूमिका काफी अहम रही है। तीनों फरार आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ की मदद मांगी गई थी।

ध्यान रहे, गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स कंपनी के संचालक बसपा नेता संजय भाटी ने बाइक बोट के नाम से एक आकर्षक योजना की शुरूआत की थी। जिसके तहत निवेशकों को बाइक खरीदकर निवेश करने में अतिरिक्त लाभ की आकर्षक योजनाओं का झांसा देकर फंसाया था। हजारों निवेशकों ने बाइक बोट स्कीम में निवेश किया था। कंपन ने अलग-अलग लोगों काे फ्रेंचाइजी देकर निवेश कराया था और बाइक बोट स्कीम से जुटाई गई रकम का निवेश दूसरी जगहों पर किया गया था। निवेशकों ने रकम डूबने पर गौतमबुद्धनगर में कंपनी संचालकों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज कराए थे। जून माह में ईओडब्ल्यू ने कई जिलों में छापे मारकर 200 से अधिक मोटरसाइकिलें भी बरामद की थीं।


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