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लोकल से ग्लोबल के मंत्र पर यूपी ने कसी कमर, चीन की मूर्तियों को 'मिट्टी' करेंगे गोरखपुर के लक्ष्मी-गणेश

भारत के बड़े बाजार में मुनाफा कमाने वाले धोखेबाज चीन के उत्पादों को यहां से बेदखल करने का बड़ा मुहूर्त इस बार की दीपावली हो सकती है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 07:05 PM (IST)
लोकल से ग्लोबल के मंत्र पर यूपी ने कसी कमर, चीन की मूर्तियों को 'मिट्टी' करेंगे गोरखपुर के लक्ष्मी-गणेश
लोकल से ग्लोबल के मंत्र पर यूपी ने कसी कमर, चीन की मूर्तियों को 'मिट्टी' करेंगे गोरखपुर के लक्ष्मी-गणेश

लखनऊ, जेएनएन। सीमा पर हरकतें कर रहे चीन से निपटने की तैयारी अब यहां गांव, गली और बाजारों में भी हो रही है। भारत के बड़े बाजार में मुनाफा कमाने वाले धोखेबाज चीन के उत्पादों को यहां से बेदखल करने का बड़ा 'मुहूर्त' इस बार की दीपावली हो सकती है। गोरखपुर के टेराकोटा की मूर्तियों को तकनीक और गुणवत्ता के आधार पर देश-विदेश के बाजार में स्थापित करने की बड़ी तैयारी माटी कला बोर्ड, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग और यूपी डिजाइन संस्थान ने की है।

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चीन के साथ सीमा पर तनाव अब ज्यादा बढ़ा है लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के बाद लोकल से ग्लोबल के मंत्र पर उत्तर प्रदेश में पूरे अमल की तैयारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले की कर ली। पिछले दिनों उन्होंने दो टूक कहा था कि अभी भारतीय बाजारों में चीन से आयातित मूर्तियों की बहुत मांग है। सरकार का प्रयास है कि अब दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां चीन से नहीं आएं, बल्कि गोरखपुर में टेरोकोटा से बनने वाली मूर्तियां खरीदी जाएं। योगी के इन विश्वास भरे बोल के पीछे तैयारी पहले से चल रही थी।

उत्तर प्रदेश डिजाइन संस्थान की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने बताया कि माटी कला बोर्ड, एमएसएमई विभाग और यूपीआइडी इस दिशा में पूरी तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि अभी महसूस किया जा रहा था कि चीन से आने वाली मूर्तियों में ग्लेजिंग बहुत है, जबकि गोरखपुर के टेराकोटा से बनने वाली मूर्तियों में कम। पिछले दिनों माटी कला बोर्ड की बैठक में संस्थान के डिजाइनर भेजे गए। बैठक में एमएसएमई के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत सहगल भी थे। संस्थान से सुझाव दिया कि हमें तकनीक और गुणवत्ता को अपनाकर अपने उत्पाद को बाजार में स्थापित कराना होगा। इसके लिए ग्लेजिंग और पैकेजिंग पर ध्यान देना होगा।

अच्छी तकनीकी मशीनों की व्यवस्था तो एमएसएमई विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे कॉमन फैसिलिटी सेंटर में मिल जाएंगी। इसके अलावा एक समस्या मोल्डिंग की है। अभी शिल्पकार अलग-अलग मूर्तियां बना रहे हैं। संस्थान मूर्तिकारों को फाइबर के सस्ते मोल्ड बनाना सिखाएगा, जिससे मूर्तियां बनाने में समय और पैसे की बचत होगी। इससे उत्पाद चीनी मूर्तियों की प्रतिस्पर्धा के लिए सस्ता भी हो जाएगा।

संस्थान ने 3500 को दिया प्रशिक्षण : उत्तर प्रदेश डिजाइन संस्थान की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने बताया कि लोकल को ग्लोबल की गुणवत्ता तक पहुंचाने के लिए संस्थान द्वारा अब तक 35 जिलों के 3500 शिल्पकार-कलाकारों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें गोरखपुर, गुलेरिया आदि के भी पचास कलाकार हैं। उन सभी को यह भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि अपने उत्पाद की पैकेजिंग कैसे जिससे वह सुरक्षित रहे और आकर्षक भी लगे।

विदेशी खरीददार और प्रशिक्षक भी जुड़े : छोटे जिलों के कलाकारों को बेहतर प्रशिक्षण दिलाने के लिए जहां देश-विदेश के डिजाइनर को संस्थान ने जोड़ा है, वहीं मार्केटिंग की रणनीति पर काम करते हुए विदेशी खरीददार भी जोड़े गए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इस दीपावली तक बाजार से लोकल मूर्तियां चीनी मूर्तियों को काफी हद तक बेदखल कर देंगी।


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