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इस बार गाय के गोबर से बनाए दीपों से जगमग होगी दीपावली, गौ सेवा आयोग ने बनाई योजना

इस बार दीपावली पर मिट्टी के अलावा गाय के गोबर से बने दीपकों से भी जगमगाहट होगी और धूप व अगरबत्तियों से वातावरण सुंगधित होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 11:33 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 06:10 AM (IST)
इस बार गाय के गोबर से बनाए दीपों से जगमग होगी दीपावली, गौ सेवा आयोग ने बनाई योजना
इस बार गाय के गोबर से बनाए दीपों से जगमग होगी दीपावली, गौ सेवा आयोग ने बनाई योजना

लखनऊ, जेएनएन। इस बार दीपावली पर मिट्टी के अलावा गाय के गोबर से बने दीपकों से भी जगमगाहट होगी और धूप व अगरबत्तियों से वातावरण सुंगधित होगा। पर्यावरण संरक्षण और गोशालाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग ने विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण के साथ जल संरक्षण की योजनाएं भी लागू की जाएंगी। इससे गोशालाएं केवल सरकारी अनुदान पर ही निर्भर नहीं रहेंगी, बल्कि रोजगार प्रदान करने में सक्षम होंगी।

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उत्तर प्रदेश में कुल 546 गोशालाएं पंजीकृत हैं, इनमें से 120 से अधिक गोशालाएं बेहतर स्थिति में है। पंजीकृत गोशालाओं के लिए सरकार द्वारा प्रति गोवंश 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाता है। इसके अलावा दान की धनराशि से ही अधिकतर गोशालाओं का संचालन होता है। अनेक गोशालाओं में आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कुछ प्रयोग भी किए जा रहे है। गोबर, गोमूत्र व अन्य अपशिष्ट से अतिरिक्त आय प्राप्त करने की योजनाओं को भी लागू किया गया है। यहां जैविक खाद बनाने के अलावा बायोगैस तैयार करने का काम हो रहा है।

बिजनौर की एक गौशाला में गोबर से गमले, दीपक, राखी व मूर्तियां बनाई जा रही हैं तो बुलंदशहर में अगरबत्ती बनाने के काम में महिला स्वयं सहायता समूहों को भी शामिल किया गया है। बनारस व आसपास की गोशालाओं में गोबर के लठ्ठे बनाने का काम खूब हो रहा है, जिनका उपयोग ईंधन के अलावा शवदाह गृह में किया जा रहा है। गोसेवा आयोग ऐसे सभी प्रयोगों को योजनाबद्ध ढंग से सभी गोशालाओं में चलाने की तैयारी कर रहा है। जिला पशु चिकित्साधिकारियों और गोशाला संचालकों को लिखे पत्र में गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने को कहा गया है। पंचायती राज, वन, स्वास्थ्य व नगर विकास जैसे विभागों को पत्र लिखकर गोशालाओं में उत्पादित वस्तुओं का प्रयोग करने का आग्रह भी किया गया है। वर्षा जल संचयन व संरक्षण के साथ पौधारोपण में भी गोशालाओं का योगदान बढ़ाया जा रहा है।

प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे : गोशालाओं में उत्पादित वस्तुओं को आम जनता में लोकप्रिय बनाने के लिए ब्रांडिंग व पैकिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध कारीगरों से प्रशिक्षण दिलाने और प्रदर्शनियां लगाने का भी प्लान है। गोबर व गोमूत्र के औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए उनका उपयोग प्रोत्साहित किया जाएगा। लंबे समय से गोशाला से जुड़े मनोज गुप्ता कहना है कि आने वाले दिनों में गोशालाएं रोजगार प्रदान करने का प्रमुख माध्यम सिद्ध होंगी। सरकार के अलावा निजी क्षेत्र के लोग भी दिलचस्पी ले रहे है।

प्रदूषण बचा रही गौशालाएं : उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो.श्यामनंदन सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम हो रहा है। गोशालाओं की उपयोगिता बढ़ाने की योजनाओं पर गंभीरता से अमल हो तो गोशालाएं घाटा नहीं मुनाफा देने वाली होंगी।


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