यहां तो टाटा की नैनो से महंगी बिक रहीं देशी गाएं
जर्सी, होलेस्टेन फ्रीजन जैसी विदेशी नस्ल की गायों में बीमारी फैलने की वजह से अब देसी गायों की कीमत बढऩे लगी है। स्थिति यह है कि शाहीवाल जैसी नस्ल की गाय नैनो कार से भी महंगी हैं। इन गायों की कीमत 50,000 से दो लाख रुपये तक है। अपने यहां
अलीगढ़ (राज नारायण सिंह) । जर्सी, होलेस्टेन फ्रीजन जैसी विदेशी नस्ल की गायों में बीमारी फैलने की वजह से अब देसी गायों की कीमत बढऩे लगी है। स्थिति यह है कि शाहीवाल जैसी नस्ल की गाय नैनो कार से भी महंगी हैं। इन गायों की कीमत 50,000 से दो लाख रुपये तक है। अपने यहां की गोशालाओं के साथ पशुपालक भी इन गायों को खरीदकर ला रहे हैं। क्वार्सी चौराहा स्थित चौधरी राजेंद्र सिंह स्मृति गोशाला में 25 देसी गायें हैं। इनमें दो शाहीवाल व दो गीर नस्ल की हैं। गोशाला संचालक मानपाल सिंह चौहान बताते हैं कि जर्सी व होलेस्टेन फ्रीजन नस्ल की गायों को दस साल पहले दूध के लिए खूब खरीदा जाता था। ये 30 लीटर तक दूध देती हैं। ये गायें यहां के वातावरण से तालमेल नहीं बिठा पातीं और बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं। इनका दूध भी पतला होता है। कुछ जर्सी गायों के दूध में हल्की दुर्गंध सी आती है। मानपाल ने बताया कि जर्सी गायों के बीमार रहने से वे परेशान थे, इसलिए अब देसी गायें रखने लगे हैं। राजस्थान की मूल नस्ल असदपुर कयाम स्थित गणपति गोशाला के मालिक व कृषि विभाग से सेवानिवृत्त उदयवीर सिंह बताते हैं कि उन्होंने आठ साल पहले शाहीवाल गाय के ब्रीड की एक बछिया 40 हजार रुपये में खरीदी थी। वर्तमान में उनके पास चार शाहीवाल गायें हैं। इनमें से दो की कीमत 1.20 लाख रुपये प्रति गाय के हिसाब से लग चुकी है, मगर उन्होंने बेचा नहीं। शाहीवाल मूल रूप से राजस्थान की नस्ल है। यहां से हरियाणा के डेयरी वाले खरीदकर ले गए। हरियाणा से अलीगढ़ में काफी गायें आईं, मगर अब रोक लग गई है। राजस्थान से ही शाहीवाल गायें लेकर आ सकते हैं। इसके चलते इनकी कीमत बढ़ गई है।
55 रुपये लीटर दूध शाहीवाल गाय 20 लीटर तक दूध दे देती है। इसका दूध मीठा व गाढ़ा होता है। मानपाल बताते हैं कि अब पढ़े-लिखे लोग देसी गायों का ही दूध लेते हैं। यह 55 रुपये लीटर बिक रहा है।