लविवि के 171 कॉलेजों में भी रहेगा टेबुलेशन चार्ट, अंक पत्रों के खेल पर कसेगी नकेल Lucknow News
अंक पत्र में त्रुटि पर विद्यार्थियों को विवि के चक्कर काटने से मिलेगी निजात। टेबुलेशन चार्ट में छेड़छाड़ पर तय हो सकेगी जिम्मेदारी।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय में अंक पत्रों में होने वाले खेल पर नकेल कसने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। लविवि के परीक्षा नियंत्रक विभाग के साथ ही एक टेबुलेशन रजिस्टर लविवि के विभागाध्यक्षों के पास रहेगा। वहीं एक अन्य टेबुलेशन रजिस्टर लविवि से संबद्ध 171 डिग्री कॉलेजों में रखा जाएगा। ताकि, छात्रों के अंक पत्रों आदि में गड़बड़ी होने पर संबंधित कॉलेज विवि से पहले खुद मामले की पड़ताल कर सकें।
परीक्षा नियंत्रक कर्नल अंजनी मिश्रा ने बताया कि विवि में दो तरह के टेबुलेशन चार्ट बनाए जाते हैं। एक नीला और दूसरा लाल रंग का। विभागों में लाल रंग और परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में नीले रंग का चार्ट रहता है। मगर, नई व्यवस्था के तहत तीन टेबुलेशन चार्ट बनाए जाएंगे। तीसरा चार्ट हरे रंग का है, जिसे लविवि के संबंधित विभागों में संबद्ध डिग्री कॉलेजों को दिया जाएगा। परीक्षा नियंत्रक कार्यालय की दलील है कि टेबुलेशन रजिस्टर में छेड़छाड़ की दशा में उसे आसानी से पकड़ा जा सकेगा। और संबंधित की जिम्मेदारी तय होगी। इसके अलावा विद्यार्थी के अंक पत्र में त्रुटि होने की दशा में वह अपने कॉलेज के माध्यम से उसे विवि से सही करा सकेंगे। इससे छात्रों को विवि के चक्कर काटने से भी निजात मिलेगी।
तैयार हो रहा मास्टर लेजर
परीक्षा नियंत्रक विभाग की ओर से मास्टर लेजर तैयार किया जा रहा है। इसके तहत सभी विभागों में कितनी फाइल, कितने रजिस्टर और कितने स्टैंप हैं का ब्योरा होगा। इसमें किसके पास कौन सा और किस नंबर का टेबुलेशन चार्ट है, यह भी लिखित में रहेगा। ताकि किसी भी गड़बड़ी की दशा में संबंधित व्यक्ति की जिम्मेदारी तय की जा सके।
हस्ताक्षर के साथ ही लगाना होगा डिजिटल स्टैंप
परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में कार्यरत बाबू व अधिकारियों की गलत कामों में होशियारी नहीं चल सकेगी। अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने प्रत्येक हस्ताक्षर के साथ ही डिजिटल हस्ताक्षर का स्टैंप लगाना होगा। ताकि फर्जी हस्ताक्षर कर कोई कर्मचारी गुमराह न कर सके।
नैक के लिए मजबूत बनेंगे
डिग्री कॉलेजों में टेबुलेशन चार्ट की उपलब्धता से नैक ग्रेडिंग की राह भी आसान होगी। चार्ट में उपलब्ध डाटा के आधार पर ही संबंधित कॉलेजों में छात्रों के परिणाम का रिकॉर्ड के रूप में ब्योरा होगा।