Raksha Bandhan Special: भाई की कलाई का नहीं होता है कोई धर्म Lucknow News
लखनऊ में रक्षाबंधन के साथ आजादी का जश्न मनाने की हो रही तैयारी।
लखनऊ, जेएनएन। भाई-बहन के प्यार का पर्व को किसी एक धर्म में बांटने सही नहीं है। रक्षाबंधन का त्योहार न केवल हिंदू, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी उतने ही जोश खरोश के साथ मनाते हैं। मुस्लिम बहनें भी अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनके लम्बी आयु की दुआएं मांगती हैं। तो वहीं, भाई भी अपने बहनों को उपहार के साथ जीवनभर साथ रहने और उनकी हिफाजत करने की कसम खाएंगे। अवध की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश कर शहर के मुस्लिम युवा भी धर्म-जाति के बंधन से ऊपर उठकर रक्षाबंधन का त्योहार मनाकर एकता का पैगाम दे रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि यह परंपरा अभी की है। हिंदू-मुस्लिम द्वारा एक दूसरे का त्योहार मनाने का सिलसिला नवाबी काल से चल रहा है। ईद हो या दीपावली। मुहर्रम हो या बड़ा मंगल। सभी त्योहार लखनऊ में रहने वाले मिलकर मनाते आ रहे हैं। यही इस शहर की खुबसूरती भी है। इसी तरह मुस्लिम युवा भाई-बहन एकता और भाई चारे का संदेश देते हुए है रक्षा बंधन का त्योहार धूमधाम से मनाएंगे। इस बार रक्षाबंधन के साथ देश के साथ आजादी का जश्न भी मनाया जाएगा। इस दोहरी खुशी को सेलिब्रेट करने के लिए पहले से तैयारी शुरू हो चुकी हैं।
धर्म नहीं यह रिश्तों का त्योहार
ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पाक रिश्तों का है। इसे जितना फैलाया जा सके उतना बेहतर है। इस त्योहार में भाई-बहन का रिश्ता और मजबूत होता है। कोई मुस्लिम बहन अपने भाई को राखी बांधती है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। हमारे लखनऊ में जाने कितनी मुस्लिम बहने हैं जो हर साल हिंदू भाईयों को राखी बांधती है। इससे हमारी गंगा जमुना तहजीब को और मजबूती मिलती है। यह त्योहार सभी समुदाय के भाई बहनों के लिए है।
बहन को हर खुशी देना चाहता हूं
कैंपल रोड निवासी मोहम्मद शादाब एमआर की जॉब करते हैं। वह बताते हैं कि मैंने जबसे होश संभाला है मेरी बहन सदफ मुझे और मेरे छोटे भाई को राखी बांध रही है। रक्षाबंधन का त्योहार हमारे लिए बहुत ही खास है। हम लोग अपनी बहन को तोहफ भी देते है। भाई-बहन इस त्योहार पर हम सभी एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारते हैं। इस बार तो स्वतंत्रता दिवस के दिन त्योहार पड़ रहा है, छुट्टी का दिन है।
प्यार के साथ नोक-झोक भी
सरोजनगर बीकॉम की छात्रा निदा खान अपने छोटे भाई फरदीन खान को राखी बांधती हैं। इस बार भी रक्षाबंधन के दिन राखी बांधकर यह त्योहार मनाएंगी। वह बताती है कि हम दो बहनें हैं और हमारा सिर्फ एक भाई हम दोनों बहने अपने भाई को राखी बांधती है। फरदीन से छोटी बहन नशरा भी उसको राखी बांधती है। हम दोनों भाई-बहन एक दूसरे की टांग खींचने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, लेकिन राखी के दिन पूरे परिवार के साथ बैठकर समय बिताते हैं।
बहन का ध्यान रखता हूं
लालकुआ के जैन अपनी बहन शीरीन भी रक्षाबंधन का इंतजार कर रहे हैं। जैन बताते हैं कि स्कूल दिनों में अपने दोस्तों को राखी बांधे देखा था, तब से आज तक वह अपनी बहन से राखीं बंधवा रहे हैं। शीरीन बहुत ही समझदार और मेरा बहुत ख्याल रखती है। राखी के दिन हिना मेरा मनपसंद खाना बनाती है। मिठाई के साथ राखी बांधती हैं। इसके बाद हम लोग घूमने जाते हैं, फिर उसकी पसंद का गिफ्ट देता हूं।
बच्चों को भी इंतजार
आलमबाग के मो, इमरान की बेटी इरा और उसके भाई अरहान को हर साल बांधती है। पिछले पांच साल से वो हर साल राखी बंधी है। वहीं सरोजनीनगर के मो, जावेद अहमद की बेटी मलक भी अपने भाई हमजा को हर साल राखी बांधती है। इरा बताती हैं कि हर बार राखी के त्योहार पर भाई को राखी बांधती हूं, और वह मुझे चॉकलेट देता है। इरा ने बताया कि जबसे मैंने होश संभाला है,अपने छोटे भाई को राखी बांध रहीं हूं। यह त्योहार बहुत अच्छा लगता है।