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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर नहीं है कोई ब्लैक स्पॉट, फिर भी हो रहे लगातार हादसे...

रोड इंजीनियरिंग के हिसाब से लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर कोई ब्लैक स्पॉट नहीं है फिर भी खून के इतने धब्बे? हालात गवाह हैं कि यहां जिंदगी की निगहबानी मौत की रफ्तार से हारी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 10:51 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 10:52 AM (IST)
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर नहीं है कोई ब्लैक स्पॉट, फिर भी हो रहे लगातार हादसे...
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर नहीं है कोई ब्लैक स्पॉट, फिर भी हो रहे लगातार हादसे...

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। जीवन आपका और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की! मगर, जिम्मेदारी यहीं तक कि जिस रास्ते आप चल रहे हैं, वह सुरक्षा मानक पूरे करता हो। कोई यातायात नियम न तोड़े, इसके लिए सख्त निगरानी और कार्रवाई हो। इस लिहाज से तो लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पूरी तरह सुरक्षित माना जाना चाहिए। विडंबना है कि रोड इंजीनियरिंग के हिसाब से यहां कोई ब्लैक स्पॉट नहीं है, फिर भी खून के इतने धब्बे? हालात गवाह हैं कि यहां जिंदगी की निगहबानी मौत की रफ्तार से हारी है।

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कुछ माह पहले अलग-अलग सड़कों पर हुए हादसों पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्सप्रेस-वे के किनारे ट्रॉमा सेंटर बनाने और हादसे के बाद गोल्डन आवर (हादसे के एक घंटे के अंदर) में उपयुक्त इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इनमें कुछ निर्देश यूपीडा के लिए थे। बुधवार रात को लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर ट्रॉला और प्राइवेट बस की भिड़ंत में 14 यात्रियों की मौत के बाद सवाल उठा कि क्या मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद व्यवस्थाएं दुरुस्त हुईं? क्या यूपीडा द्वारा निगरानी सख्त की गई? या क्या-क्या सुरक्षा प्रबंध किए गए।

यूपीडा के चीफ जनरल मैनेजर (सिविल) अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एक्सप्रेस-वे पर ब्लैक स्पॉट चिह्नित करने के लिए इंजीनियरों की टीम लगाई गई। इस पर कोई ब्लैक स्पॉट नहीं मिला। इंडियन रोड कांग्रेस के जो मानक एक्सप्रेस-वे के लिए हैं, वह पूरे हैं।

ओवरस्पीड पर पांच महीने में 12500 चालान

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर पांच माह से ओवरस्पीड पर चालान की कार्रवाई शुरू की गई है। आगरा और लखनऊ छोर पर टोल पर्ची चेक करते समय देखा जाता है कि वाहन ने कितने अंतराल में यह सफर पूरा किया। यदि गति सीमा सौ किलोमीटर प्रति घंटा से ऊपर निकलती है तो चालान किया जाता है। इस तरह पांच माह में 12500 वाहनों के चालान हो चुके हैं। इनमें 32 लाख 27 हजार रुपये की वसूली हुई है।

यह हैं सुरक्षा के प्रबंध

  • 17 इंटरचेंज सहित पूरे एक्सप्रेस-वे पर कुछ-कुछ दूरी पर बार मार्किंग (गति नियंत्रण के लिए सड़क पर उभरी हुई पीली पट्टियां)।
  • एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत पांच स्थानों पर दोनों ओर स्पीड पर नजर रखने वाले कैमरे, नंबर प्लेट पढ़ने वाले कैमरे और राडार।
  • निगरानी के लिए पचास क्लोज सर्किट टीवी कैमरे।
  • 25 पेट्रोलिंग वाहन और 125 भूतपूर्व सैनिकों की तैनाती।
  • हादसे के बाद पांच से आठ मिनट के बीच का है रेस्पांस टाइम।

एक्सप्रेस वे पर वाहनों की गति सीमा

  • बस और भारी वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा- 80 किमी प्रति घंटा - छोटे भारी वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा-100 किमी प्रति घंटा है।
  • कार और इस वर्ग के वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा- 100 किमी प्रति घंटा।

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