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पड़ोस में पर्यटन : लखीमपुर की वादियों में लोक-परलोक की सैर Lakhimpur Kheri

दुधवा की वादियां हों या रवींद्र नगर के छोटे-छोटे प्यारे मकान पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 06:03 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 08:21 AM (IST)
पड़ोस में पर्यटन : लखीमपुर की वादियों में लोक-परलोक की सैर Lakhimpur Kheri
पड़ोस में पर्यटन : लखीमपुर की वादियों में लोक-परलोक की सैर Lakhimpur Kheri

लखीमपुर, जेएनएन। लखीमपुर खीरी में स्थित घने जंगल, खास मंदिर और यहां की लोक परंपराएं जिले को पर्यटन के नक्शे पर खास पहचान देती हैं। थारू हट ठहरने को लुभाता है तो वहीं देवाधिदेव महादेव के भक्तों की छोटी काशी इसे खास पहचान देती है। जिले के ऐसे खास पर्यटन स्थलों की सैर कराती रिपोर्ट।

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दुधवा नेशनल पार्क

01 फरवरी 1977 ई. को दुधवा के जंगलों को राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया। कुछ ही सालों बाद किशनपुर वन्य जीव विहार को इसमें शामिल करते हुए इसे बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। यहां बाघ सहित विभिन्न वन्य जीवों की लाखों प्रजातियां निवास करती थी। यहां की सुहेली, शारदा और घाघरा आदि नदियों में मगरमच्छ व घडिय़ाल दिखाई दे जायेगें। गैन्गेटिक डाल्फिन भी यहां देखी जा सकती हैं। दुधवा नेशनल पार्क के मैलानी रेंज में पडऩे वाला किशनपुर सेंच्युरी बाघों के दीदार का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है वहीं इसी रेंज में झादीताल में हर दिन सुबह शाम आने वाले हजारों हिरनों के झुंड का नजारा भी दिल को मोह लेने वाला है।

ऐसे पहुंचें

लखनऊ से 225 किलोमीटर दूर दुधवा नेशनल पार्क तक एनएच 24 से सीतापुर-लखीमपुर मार्ग से पांच घंटे की यात्रा करके पहुंचा जा सकता है। पार्क 15 नवंबर से 15 जून तक ही खुला रहता है।

ऑनलाइन बुकिंग भी

गूगल में यूपी इको टूरिज्‍म लिखते ही दुधवा नेशनल पार्क की वेबसाइट खुल जाती है। यहां पर थारू हट और रिजॉर्ट की बुकिंग की जा सकती है। किशनपुर, सोनारी और पलिया में कई होटल भी हैं।

गोला गोकर्णनाथ शिव मन्दिर

 

मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर भगवान शिव के मंदिर के चलते गोला गोकर्ण नाथ को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसके साथ लंका जाने को राजी हो गए। बस यह शर्त थी कि वह अगर कहीं उन्हें रखा तो फिर वह वहीं के होकर रह जाएंगे। किन्हीं कारणों से रावण ने शिवलिंग यहीं रख दिया। इस पर रावण के अंगूठे का निशान मौजूद है। प्रत्येक वर्ष चैत्र में चेती मेला लगता है। सावन में लाखों कांवडिय़े यहां जलाभिषेक करने आते हैं।

लिलौटी नाथ मंदिर

शारदा नगर मार्ग पर स्थित लिलौटी नाथ लखीमपुर से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना महाभारत काल के दौरान द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने की थी। यहां के पुराने राजा महेवा ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। मंदिर में स्थित शिवलिंग अत्यंत अद्भुत है। प्रतिदिन शिवलिंग का कई बार रंग बदल जाता है। मान्यता है कि अश्वदशथामा प्रतिदिन मंदिर का द्वार खुलने यहां पर पूजा करने आते हैं। प्रत्येक वर्ष जुलाई में प्रत्येक दिन और हर महीने में आने वाली अमावस्या को मेला लगता है।

मेढक मंदिर, ओयल 

लखीमपुर से 13 किलोमीटर की दूर सीतापुर मार्ग पर स्थित इस मंदिर का निर्माण 1870 ई. में करवाया गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ओयल व कैमहरा स्टेट के राजाओं ने इसे बनवाया था। इसकी विशेषता यह है कि यह मंदिर मेढ़क के आकार में बना है। मंदिर के ऊपर लगा हुआ छत्र स्वर्ण से निर्मित है। जिसमें नटराज जी की नृत्य करती मूर्ति चक्र के अंदर मंदिर के शीर्ष पर विद्यमान है। चमत्कृत करते हुए यह सूर्य की दिशा के अनुसार घूमती रहती है। 

देवकली शिव मंदिर

देवकली शिव मंदिर ऐतिहासिक है। यह मंदिर लखीमपुर से सात किलोमीटर दूर स्थित है। भगवत गीता के अनुसार राजा परीक्षित ने अपने बेटे के जन्म पर नाग यज्ञ का आयोजन किया था। सभी सांप यज्ञ मंत्र की शक्ति से उस हवन कुंड में कूद पड़े। इस यज्ञ के पश्चात् उस क्षेत्र में कभी कोई सांप नहीं पाया गया। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की पवित्र धरती इस जगह पर किसी सांप को यहां आने नहीं देती है। इस मंदिर का नाम भगवान ब्रह्मा की पुत्री देवकली के नाम पर रखा गया है, क्योंकि उन्होंने इस स्थान पर कड़ी तपस्या की थी।

स्वच्छ भारत की मिसाल है गांव रवीन्द्र नगर

जिला मुख्यालस से करीब साठ किलोमीटर दूर मोहम्मदी तहसील में गोमती के किनारे बंगाली ङ्क्षहदुओं का गांव रवींद्र नगर पूरे जिले का सबसे स्वच्छ गांव है। यहां के लोगों ने अपने लिए मिश्रित शैली (बांग्ला-असमिया और अवधी) के घर मन मोहने लेते हैं। हरियाली की गोद में बसे इस गांव का खानपान और यहां की मेहमाननवाजी पर्यटकों को खूब भाती है। आश्विन और कार्तिक में यहां का माहौल अत्यंत आनन्द भरा होता है, जब पावन मां दुर्गा के नवरात्रि मेले की रौनक के साथ यहां आदिगंगा मां गोमती के तट पर अति विशाल मेले का आयोजन होता है।

एक नजर में खीरी के पर्यटन स्थल

जिले में स्थित महाकृपालु मड़हा बाबा आश्रम, गज मोचन मंदिर (गज गृह की लड़ाई महाभारत कालीन), विराट नगर, सई व सरायं नदी का उद्गम स्थल, मां संकटा देवी व भुईफोरवनाथ का प्रसिद्ध मंदिर आदि भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।


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