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मानसून की पहली ही वर्षा में पुण्य सलिल पयस्वनी के जलस्रोत फूटे तो खिल उठे चेहरे

सरकार ने बेरोजगारी की दर को कम करने में कुछ वर्षो में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्तमान वर्ष में ही मार्च के दौरान बेरोजगारी की दर 4.4 प्रतिशत थी जो मई में घटकर 2.9 प्रतिशत रह गई थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 01:56 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 02:39 PM (IST)
मानसून की पहली ही वर्षा में पुण्य सलिल पयस्वनी के जलस्रोत फूटे तो खिल उठे चेहरे
पयस्वनी नदी में बने चेकडैम के ऊपर से निकलता पानी। जागरण

लखनऊ, राजू मिश्र। मानसून की पहली ही वर्षा में पुण्य सलिल पयस्वनी के सूखे जलस्रोत फूट निकले हैं और उनसे निकल रही जलधारा जन-मन को हर्षा रही है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में कभी मंदाकिनी, सरयू और पयस्वनी नदियों का संगम होता था, लेकिन प्रकृति से खिलवाड़ के चलते सरयू और पयस्वनी नदी सूख चुकी थीं। मंदाकिनी ही ऐसी नदी है, जो प्रदूषण और अतिक्रमण से जूझते हुए काफी हद तक अपना अस्तित्व बचाए हुए है।

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चित्रकूट में विलुप्त हो चुकी पयस्वनी और सरयू नदी को लेकर नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने काफी सख्ती दिखाई। मध्य प्रदेश के सतना जिला कलेक्टर को निर्देश दिए गए थे कि दोनों नदियों का सीमांकन करवाकर उन्हें अतिक्रमण मुक्त किया जाए। पयस्वनी नदी का सीमांकन और फिर नदी के उद्गम स्थल में खोदाई का कार्य शुरू कराया गया। करीब दस फीट खोदाई में नदी के जलस्रोत दिखने लगे थे। कुंड में पानी भी भर गया था। मझगवां के एसडीएम पीएस त्रिपाठी बताते हैं कि तभी उम्मीद जगी थी कि पयस्वनी नदी पुनर्जीवित हो जाएगी। जब जलस्रोत खुलने लगे तो ब्रह्मकुंड के पास चेकडैम बनाने का निर्णय किया गया। जो ब्रह्मकुंड से 25 फीट और नदी के तल से 12 फीट ऊंचा है। पहली वर्षा में चेकडैम की ऊपर बहता पानी देख हर किसी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। पयस्वनी में जलधारा फूटने से संत भी मुदित हैं।

मंदाकिनी में मिलने वाली पयस्वनी का उद्गम कामदगिरि पर्वत के दक्षिण में कुछ दूरी पर स्थित ब्रह्मकुंड है। यहां से नदी की जलधारा संतोषी अखाड़ा के पास से होते हुए निर्मोही अखाड़ा के पीछे से राघव प्रयाग घाट में मंदाकिनी से मिलती थी। वृहद रामायण के चित्रकूट खंड में इसका उल्लेख मिलता है। पयस्वनी का अर्थ है दूध की धारा। मान्यता है कि त्रेतायुग में इस नदी में दूध की धारा बहती थी। इसकी लंबाई करीब तीन किलोमीटर है। यह नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के दोनों छोर पर बहती है।

दैनिक जागरण और गायत्री परिवार ने मंदाकिनी और उसकी सहायक नदियों को लेकर समय-समय पर अभियान चलाया था। गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक डा. रामनारायण त्रिपाठी शास्त्रों का हवाला देते हुए कहते हैं कि पयस्वनी में 10 फीट नीचे श्वेत जल मिलता था। सतना जिला प्रशासन ने पयस्वनी में 22 स्थानों पर अतिक्रमण चिह्नित किए हैं, जो नदी को अवरुद्ध करते हैं।

हर परिवार को एक रोजगार : राज्य सरकार ने जल्दी ही परिवार कार्ड योजना लागू करके हर परिवार को रोजगार या स्वरोजगार देने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि इस योजना के तहत खासतौर पर ऐसे परिवारों को चिह्नित किया जाएगा, जिनके किसी भी सदस्य ने कभी सरकारी नौकरी नहीं प्राप्त की है। अगर सरकार इस योजना को लागू करने में सफल रही तो लोगों का जीवन स्तर तो ऊंचा उठेगा ही साथ ही आर्थिक विकास दर में भी खासी वृद्धि का अनुमान है। एक सर्वे के अनुसार प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 28.41 लाख से भी अधिक है। बेरोजगारों में 19 लाख तो 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के हैं। नि:संदेह सरकार ने बेरोजगारी की दर को कम करने में कुछ वर्षो में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्तमान वर्ष में ही मार्च के दौरान बेरोजगारी की दर 4.4 प्रतिशत थी, जो मई में घटकर 2.9 प्रतिशत रह गई थी।

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बेरोजगारों को समान रूप से रोजगार के अवसर सुलभ कराना। विभिन्न विभागों में जरूरत के हिसाब से खाली पदों को भरने में सरकार को तेजी दिखानी होगी। शिक्षित बेरोजगारों की बड़ी संख्या हर साल विभिन्न शिक्षण संस्थानों से निकल कर सड़क पर आ जाती है। उनकी योग्यता और क्षमता के लिहाज से रोजगार उपलब्ध कराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। सरकार को बड़े औद्योगिक घरानों को निवेश के लिए राज्य में लाना होगा। अर्थव्यवस्था को ग्रामीणोन्मुख बनाने की भी आवश्यकता है। बेरोजगारी की समस्या का तात्कालिक नहीं, स्थायी समाधान की जरूरत है। इस निमित्त सरकार को जनसंख्या नियोजन के साथ ही जनसंख्या नियंत्रण के बारे में भी विचार करके समाधान निकालना होगा। जल्दी ही एक सुस्पष्ट रोजगार नीति सरकार को बनानी होगी।


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