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बदायूं में बेटे की जली चिता, बेटियों ने लिए अग्निफेरे

उसहैत थाना क्षेत्र के न्यौरा निवासी जयविंदर (22) किसान था। उसके पिता रघुवीर की दस वर्ष पहले मौत हो चुकी है। वह छोटे भाई धर्मवीर, दो बहनों व मां सुखानी के साथ रहता था।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 04 Jul 2017 12:42 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jul 2017 12:42 PM (IST)
बदायूं में बेटे की जली चिता, बेटियों ने लिए अग्निफेरे
बदायूं में बेटे की जली चिता, बेटियों ने लिए अग्निफेरे

बदायूं (जेएनएन)। हंसना है कभी रोना है, किस्मत का तो बस यही फंसाना है... फिल्मी गीत की ये पंक्तियां पूरी तरह सटीक बैठ रही है एक बेबस मां पर। एक तरफ जहां मां ने अपने दिल पर पत्थर रखकर बेटे को कफन में लपेट कर श्मशान भेजा, वहीं दूसरी तरफ अपने दिल को खुद ही तसल्ली देकर अपनी दो बेटियों को विदाई के लिए लाल जोड़ा भी पहनाया। एक मां के लिए एक ही दिन रोना और हंसना बहुत ही अजीब संयोग था।

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उसहैत थाना क्षेत्र के न्यौरा निवासी जयविंदर (22) किसान था। उसके पिता रघुवीर की दस वर्ष पहले मौत हो चुकी है। वह छोटे भाई धर्मवीर, दो बहनों व मां सुखानी के साथ रहता था। रविवार देर शाम बकरी पकडऩे के दौरान जयविंदर पैर फिसलने की वजह से पानी के गहरे गड्ढे में जा गिरा। जिसमें डूबकर उसकी मौत हो गई थी। उधर, दूसरी तरफ जयविंदर की दोनों बहनों मीरा व मोनिका की शादी अलीगढ़ के सासनी थाना क्षेत्र के गांव मडरा निवासी सगे भाई प्रदीप व बब्लू से तय हुई थी।

सोमवार को दोनों भाई बरात लेकर गांव में पहुंचे तो कुछ देर पहले मां सुखानी अपने जवान बेटे को कफन में लपेटकर श्मशान घाट की चिता पर छोड़कर आई थी। जबकि छोटा और तेरह वर्षीय मासूम भाई धर्मवीर उसकी चिता को आग देकर लौटा था। इसी बीच बरात पहुंची तो न चाहते हुए भी परिजनों को बरात का स्वागत करना पड़ा। इसके बाद बेबस मां ने दोनों बेटियों को लाल जोड़ा पहनाकर विदा किया। इस दौरान गांव वालों ने भी सहयोग किया।  


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