रामसेवकपुरम व कुबेर टीला की तह में सहेजी जा रही श्री रामजन्मभूमि नींव की मिट्टी, आस्था के साथ जुड़ा है पुरातात्विक महत्व
मंदिर की नींव के लिए रामजन्मभूमि की जो मिट्टी खोदी जा रही है उसे रामजन्मभूमि परिसर में ही स्थित कुबेर टीला एवं परिसर से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित रामसेवकपुरम में सहेजा जा रहा है। इसका अध्यात्मिक व पुरातत्व दोनों का ही महत्व है।
अयोध्या [रघुवरशरण]। मंदिर की नींव के लिए रामजन्मभूमि की जो मिट्टी खोदी जा रही है, वह आस्था से जुड़ी होने के साथ पुरातात्विक अध्ययन की संभावनाओं से युक्त है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नींव के खनन में निकलने वाली मिट्टी धरोहर की तरह रामजन्मभूमि परिसर में ही स्थित कुबेर टीला एवं परिसर से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित रामसेवकपुरम में सहेज रहा है। रामजन्मभूमि की सतह से जुड़ी पुरातात्विक संभावनाएं गत वर्ष रामजन्मभूमि के इर्द-गिर्द चल रहे समतलीकरण के दौरान बड़ी मात्रा में मिली पुरासामग्रियों से होती है। प्राप्त पुरावशेष में कलश, एक दर्जन से अधिक मूर्तियुक्त पाषाण स्तंभ, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, नक्काशीदार शिवङ्क्षलग, प्राचीन कुआं आदि शामिल थे।
जिस गर्भगृह में रामलला विराजमान थे, वहां विक्रमादित्ययुगीन मंदिर था। समतलीकरण में मिले सात ब्लैक टच स्टोन का समीकरण कसौटी के स्तंभ से जोड़कर देखा जा रहा है। मान्यता है कि विक्रमादित्य ने दो हजार वर्ष पहले जिस मंदिर का निर्माण कराया था, वह कसौटी के ऐसे ही स्तंभों पर टिका था। साकेत महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कविता ङ्क्षसह कहती हैं, यह पहले से तय है कि रामजन्मभूमि परिसर में स्वर्णिम अतीत की भरी-पूरी पटकथा है और उसे पूरी समग्रता से सामने लाने की जरूरत है।
चार सौ गुणे ढाई सौ वर्ग फीट में हो रहा खनन
राममंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि सहित उसके इर्द-गिर्द की चार सौ फीट लंबी और ढाई सौ फीट चौड़ी भूमि पर खनन इसी वर्ष 15 जनवरी से चल रहा है। सैकड़ों ट्रक मिट्टी निकाली जा चुकी है, जिसे रामसेवकपुरम एवं कुबेर टीला पहुंचाए जाने का सिलसिला जारी है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र के अनुसार यह मिट्टी हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
राम मंदिर के साथ त्रेतायुगीन धरोहर की पूरी पांत
रामनगरी के पारंपरिक अतीत और पुराणों के शोधार्थी आचार्य रामदेवदास शास्त्री कहते हैं कि भव्य मंदिर निर्माण के साथ इस परिक्षेत्र का समुचित पुरातात्विक और पौराणिक सर्वेक्षण होना चाहिए। राम मंदिर के अलावा इस परिक्षेत्र में त्रेतायुगीन धरोहरों की पूरी पांत दफन है।