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Lucknow Development Authority: मूल आवंटी को पता नहीं, बैंक ने फर्जी भूखंड दस्तावेज पर दे दिया लोन

लखनऊ विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2009 में शिल्पी द्विवेदी को मानसरोवर योजना में भूखंड संख्या 3/20ए आवंटित किया था। उसी भूखंड पर दिप्ती कुमारी ने वर्ष 2015 में दावा किया लेकिन नया नंबर भूखंड संख्या 3/21ए था जो लविप्रा के ले आउट में था ही नहीं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 10:45 AM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 01:40 PM (IST)
Lucknow Development Authority: मूल आवंटी को पता नहीं, बैंक ने फर्जी भूखंड दस्तावेज पर दे दिया लोन
बैंक को फर्जी भूखंड की जांच जिस स्तर पर करनी चाहिए थी, वह नहीं की गई।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2009 में शिल्पी द्विवेदी को मानसरोवर योजना में भूखंड संख्या 3/20ए आवंटित किया था। उसी भूखंड पर दिप्ती कुमारी ने वर्ष 2015 में दावा किया, लेकिन नया नंबर भूखंड संख्या 3/21ए था जो लविप्रा के ले आउट में था ही नहीं। खास बात रही कि दीप्ति ने यह भूखंड वर्ष 2017 में विजय को बेचा और विजय ने उसी साल सौरभ दलानी को बेच दिया। सौरभ ने भूखंड खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से पचास लाख का लोन भी ले लिया।

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बैंक को फर्जी भूखंड की जांच जिस स्तर पर करनी चाहिए थी, वह नहीं की गई। सौरभ ने एक भी किस्त जब नहीं दी तो बैंक ने जनवरी 2021 में भूखंड पर कब्जा करते हुए नोटिस लगा दी। मामला लविप्रा पहुंचा तो पूरा खेल खुला। अब लविप्रा के मुताबिक शिल्पी द्विवेदी का दावा मजबूत है, क्योंकि ले आउट में सिर्फ शिल्पी द्विवेदी का भूखंड ही दर्ज है। बाबुओं व पूर्व के अफसरों के खेल से लविप्रा की छवि धूमिल हुई, वहीं राष्ट्रीयकृत बैंक ने लोन देने से पहले कोई मजबूत जांच नहीं की। अब बैंक अफसरों ने जब लविप्रा में संपर्क किया तो हकीकत सामने आई। बैंक अफसर भी पूरा मामला जानकर परेशान है। वहीं सौरभ दलानी की तलाश बैंक रिकवरी से जुड़ी टीम कर रही है। खास बात ये है कि प्राधिकरण के भूखंड का लोन देते समय सरकार बैंक सर्वे के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। 

लविप्रा ने शिल्पी द्विवेदी को वर्ष 2009 में भूखंड बेचा है। वर्ष 2015 में दीप्ति आ गई, फिर विजय और अंत में सौरभ दलानी। बैंक ने किस आधार पर लोन दे दिया मुझे नहीं मालूम। मूल आवंटी तो शिल्पी है। भूखंड पर शिल्पी का कब्जा है। -ज्ञानेंद्र वर्मा, अपर सचिव, लविप्रा


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