अस्पताल की लापरवाही ने छीन ली दो दुधमुंहे बच्चे की मां, निजी अस्पताल का कारनामा
मेयो अस्पताल का कारनामा मरीज के जीवित रहते मिलाने के लिए रखी पहले 80 हज़ार रुपये जमा करने की शर्त।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी के निजी अस्पतालों में लूट व लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मरीज से पैसे ऐंठने के चक्कर में निजी अस्पतालों ने मानवता को भी ताक पर रख दिया है। ताजा मामला गोमतीनगर स्थित मेयो अस्पताल का है। पीड़ित का आरोप है कि वह अपनी 35 वर्षीय पत्नी को पथरी के इलाज के लिए मेयो अस्पताल ले गया था, जहां डॉक्टरों की लापरवाही ने उसे वेंटिलेटर तक पहुंचा दिया। आखिरकार मरीज की मौत हो गई। मृतका अपने पीछे पति के अलावा पांच साल का बेटा व दो साल की बेटी भी छोड़ गई है। हद तो तब हो गई जब पत्नी के जीवित रहते पति को उससे मिलने से पहले अस्पताल ने 80 हज़ार रुपये जमा करने की शर्त रख दी।
लूट की कहानी, पीड़ित की जुबानी: चारबाग के चौरसिया अपार्टमेंट निवासी अंकित जैन कहते हैं कि मैं अपनी पत्नी ज्योति जैन को एक सितंबर को किडनी के स्टोन की समस्या होने पर मेयो हॉस्पिटल ले गया। इंश्योरेंस होने की वजह से कैशलेस इलाज शुरू किया। डॉक्टर ने बताया कि कल इनका कोविड टेस्ट होगा। अगले दिन तबीयत खराब होने की बात कहकर आइसीयू में एडमिट कर दिया। इसके बाद तीन सितंबर को सुबह कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई।चार को वेंटिलेटर पर ले लिया:अंकित जैन का आरोप है कि चार सितंबर को अपरान्ह दो बजे और अधिक गंभीर स्थिति होने की बात कह वेंटिलेटर पर ले लिया। फिर बताया कि मरीज के मुंह में नली डालते उन्हें दो बार कार्डिएक अरेस्ट आ गया। अब बचाना मुश्किल है।
पांच की दोबारा की कोरोना जांच: पीड़ित के अनुसार पांच तारीख को उन्होंने दोबारा कोविड जांच की तो बताया कि रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। फिर कहा मरीज को कोरोना वार्ड में शिफ्ट करेंगे। हम लोगों को कहा कि अब आप जाइये। शिफ्ट करते बुला लेंगे। जब शाम को आइसीयू गया तो मेरी पत्नी वहां नहीं मिली। काउंटर पर कहा जमा करो 80 हज़ार तब मिलने देंगे: अंकित का आरोप है कि काउंटर पर पूछा तो कहा कि पहले 80 हज़ार जमा करो तो बताएंगे कि आपकी पत्नी कहां हैं। जब मैंने कहाकि मेरा इंश्योरेंस है तो बोले कि कोविड में इंश्योरेंस नहीं चलेगा। मेरे पास 50 हज़ार ही था। उसे जमा कराने के बाद बेड नंबर बताया। फिर कोविड केयर वाली बिल्डिंग में गए। डॉक्टर् ने बताया कि मरीज को एक इंजेक्शन लगना है 80 एमजी चाहिए। वह मैं 40 हज़ार का खरीद कर लाया। 10.30 बजे रात में गार्ड से डॉक्टर के पास पहुंचवा दिया। उसमें पांच डोज थी। फिर सात को सुबह बताया कि छह की रात आपकी पत्नी मर गई।
पूछा 40 हज़ार का इंजेक्शन कहां है तो बोले लगा दिया। जबकि पांच डोज एक साथ नहीं लगाई जा सकती थी। 50 हज़ार भी वापस नहीं किया। इस तरह मेयो ने मेरा घर उजाड़ दिया। अब मेरे छोटे दो बच्चों का क्या होगा।
मेयो हॉस्पिटल की डायरेक्टर मधुलिका सिंह ने कहा कि उनकी पत्नी के दोनों फेफड़ों में गंभीर निमोनिया था। जिससे फेफड़े डैमेज हो गए थे। यह बात महिला के पति को बता दी गई थी। अस्पताल पर लगाए जा रहे सारे आरोप निराधार हैं। डॉक्टरों ने पूरी लगन और तन्मयता से मरीज का हर संभव इलाज किया। वह कोरोना पॉजिटिव भी हो गई थी। इसलिए बचाया नहीं जा सका।