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Karwa Chauth 2021: सुहागिनें हो गईं तैयार, कल करेंगी अपने चांद का दीदार; जानें- अर्घ्‍य देने का समय

अखंड सौभाग्य की कामना का पर्व करवा चौथ रविवार को है।दिनभर निर्जला व्रत रखकर देर शाम चांद देखने के बाद व्रत का पारण करने वाली सुहागन तैयार हैं। शनिवार को बाजारों में रौनक दिख रही है। श्रृंगार व पूजन का सामान लेने के लिए महिलाओं की कतार लगी रही।

By Vikas MishraEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 02:02 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 02:02 PM (IST)
Karwa Chauth 2021: सुहागिनें हो गईं तैयार, कल करेंगी अपने चांद का दीदार; जानें- अर्घ्‍य देने का समय
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 अक्टूबर को है, इसी दिन करवा चौथ व्रत भी होगा।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। अखंड सौभाग्य की कामना का पर्व करवा चौथ रविवार को है।दिनभर निर्जला व्रत रखकर देर शाम चांद देखने के बाद व्रत का पारण करने वाली सुहागन तैयार हैं। शनिवार को बाजारों मेें भी हर ओर रौनक नजर आ रही है। मेंहदी लगाने के साथ ही श्रृंगार व पूजन का सामान लेने के लिए महिलाओं की कतार लगी रही। पूजन सामग्री के साथ ही ब्यूटी पार्लर में भी महिलाओं की भीड़ रही। हजरतगंज के जनपथ मार्केट, निशातगंज व आलमबाग सहित कई स्थानाें पर सड़क के किनारे मेंहदी लगवाने वालों की लाइन लगी रही। चूरा, खील, खुटिया के साथ ही करवा व सींक खरीदने के लिए भी लोग दुकानों पर खड़े नजर आए। आशियाना की पूजा मेहरोत्रा ने बताया कि तैयारियां पूरी हो गईं है अब रविवार को चांद के दीदार का इंतजार रहेगा। आलमबाग की रागिनी दुबे भी तैयारियां पूरी कर चुकी हैं। 

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इंतजार कराएगा चांदः कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 अक्टूबर को है, इसी दिन करवा चौथ व्रत भी होगा। इस दिन करवा चौथ सर्वार्थ सिद्धि व शिव योग में मनाया जाएगा। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ आयु एवं मंगल कामना के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देता है। प्रातः काल स्त्रियां स्नान करके सुख सौभाग्य का संकल्प करना चाहिए। शिव पार्वती, कार्तिकेय, श्री गणेश व चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय शाम 7:56 बजे है लेकिन लखनऊ में चंद्रमा रात 8:01 से 8:05 बजे के बीच नजर आएगा। ऐसे में सुहागिनों को चंद्रोदय के बाद इंतजार करना होगा। 

एक घड़ी के भीतर पूजन करना श्रेयस्करः आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि चंद्रोदय एक घड़ी (24 मिनट) के भीतर पूजन करना उत्तम रहेगा। उन्होंने बताया अधिकमास पड़ने के बाद पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं। पहली बार व्रत के समय जब गुरु और शुक्र अस्त हो तब व्रत करने से बचा जाता है। शाम 5:30 से 6:46 बजे के बीच करवा चौथ पूजन का मुहूर्त है। 

इसलिए होता है करवा चौथः आचार्य आनंद दुुबे ने बताया कि इंद्रप्रस्थ नगरी में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी जिसका नाम वीरावती था। उसका विवाह सुदर्शन नाम एक ब्राह्मण के साथ हुआ। ब्राह्मण के सभी पुत्र विवाहित थे। एक बार करवाचौथ के व्रत के समय वीरावती की भाभियों ने तो पूर्ण विधि से व्रत किया, लेकिन वीरावती सारा दिन निर्जला व्रत रहकर भूख न सह सकी और उसकी तबियत बिगड़ने लगी। भाइयों ने वीरावती को व्रत खोलने के लिए कहा, लेकिन चंद्रमा देखकर ही व्रत खोलने पर अड़ी रही। भाइयों ने बाहर खेतों में जाकर आग जलाई तथा ऊपर कपड़ा तानकर चंद्रमा जैसा दृश्य बना दिया। बहन से कहा कि चांद निकल आया है, अर्घ्य देकर व्रत तोड़ो।

नकली चंद्रमा को अर्घ्य देने से उसका व्रत खंडित हो गया। वीरावती का पति अचानक बीमार पड़ गया। वह ठीक न हो सका। इंद्र की पत्नी इंद्राणी करवा चौथ व्रत करने पृथ्वी पर आईं। इसका पता लगने पर वीरावती ने जाकर इंद्राणी से प्रार्थना की कि उसके पति के ठीक होने का उपाय बताएं। इंद्राणी ने कहा कि तेरे पति की यह दशा तेरी ओर से रखे गए करवा चौथ व्रत के खंडित हो जाने के कारण हुई है। यदि तूं करवा चौथ का व्रत पूर्ण विधि विधान से बिना खंडित करेगी तो तेरा पति ठीक हो जाएगा। वीरावती ने करवा चौथ का व्रत पूर्ण विधि पूरा किया और पति बिल्कुल ठीक हो गए। करवा चैथ का व्रत उसी समय से प्रचलित है। द्रोपदी ने भी यह व्रत भगवान कृष्ण के कहने पर किया था।


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