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खुद को अंडरकवर एजेंट बताता था फर्जी लेफ्टिनेंट

विभूतिखंड में फर्जी लेफ्टीनेंट बन नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों को ठगने का मामला। एटीएस ने जब्त किए आरोपित से बरामद दस्तावेज फोरेंसिक लैब भेजा गया मोबाइल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 08:10 AM (IST)
खुद को अंडरकवर एजेंट बताता था फर्जी लेफ्टिनेंट
खुद को अंडरकवर एजेंट बताता था फर्जी लेफ्टिनेंट
लखनऊ, जेएनएन। विभूतिखंड क्षेत्र में पकड़े गए फर्जी लेफ्टिनेंट हर्षवर्धन सिंह ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि उसने ठगी का शिकार बेरोजगारों को भरवाने के लिए बताया था कि वह कई महीने तक चाइना और पाक में अंडरकवर एजेंट भी रहा है। आरोपित के मोबाइल में पुलिस को रॉ से जुड़े कुछ दस्तावेज भी मिले थे। जिसके बाद आलाधिकारियों के निर्देश पर जांच के लिए एटीएस को भी लगा दिया गया। 
सोमवार देर रात एटीएस की टीम ने थाने पहुंचकर आरोपित के पास से बरामद दस्तावेजों को जब्त कर लिया और जांच में जुट गई। वहीं, गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की गिरफ्तार के लिए एक टीम दिल्ली भेजने की तैयारी है। गिरोह के सरगना विराट उर्फ विवेक और सिद्धार्थ के मोबाइल नंबरों को भी सर्विलांस पर लिया है। इंस्पेक्टर विभूतिखंड राजीव द्विवेदी ने बताया कि एटीएस की टीम ने आरोपित के पास से बरामद दस्तावेज लिए है। टीम भी जांच कर रही है। फौरी जांच में सामने आया है कि आरोपित हर्ष वर्धन ने ठगी का शिकार लोगों पर अपना विश्वास जताने के लिए कहा था कि वह चाइना और पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट रहा है। इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपित के पास से मिले मोबाइल को सीज कर फोरेंसिक साइंस लैब में जांच के लिए भेजा गया है। इसके अलावा उसके अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। एक टीम दिल्ली भेजी जाएगी। 
खीरी की भी एक पीड‍ि़ता ने दिया प्रार्थनापत्र 
विकास मिश्रा, जसप्रीत सिंह, हरप्रीत कौर, सुभांगी सिंह और ऋषभ के बाद मंगलवार को खीरी निवासी एक पीडि़ता विभूतिखंड थाने पहुंची। इंस्पेक्टर ने बताया कि उसने भी आर्मी मेडिकल कॉलेज दिल्ली में दाखिला दिलाने के नाम से हर्षवर्धन पर पांच लाख रुपये हड़पने का आरोप लगाते हुए प्रार्थनापत्र दिया है। 
अलीगंज स्थित एक फ्लैट से चलाते थे नेटवर्क 
इंस्पेक्टर राजीव द्विवेदी ने बताया कि दो साल पहले हर्षवर्धन सिंह खुद ठगी का शिकार हुआ था। गिरोह का सरगना उससे ढाई लाख रुपये ऐंठने के बाद कई दिनों तक दिल्ली घुमाता रहा है। वहां, से लौटने के बाद हर्षवर्धन विराट ठाकुर के संपर्क आया। उसके बाद दोनों ने सिद्धार्थ को तैयार किया और अलीगंज क्षेत्र में एक फ्लैट किराए पर लिया। जहां से पूरा नेटवर्क संचालित होता था। 

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