यूपी में फिर शुरू हुई पर्यावरण नीति बनाने की कवायद, सतत विकास विजन 2030 के तहत महत्वपूर्ण होगा यह कदम
पर्यावरण नीति का ड्राफ्ट बनाकर वेबसाइट पर जरूर डाल दिया गया जिससे आम आदमी के सुझाव व आपत्तियां प्राप्त की जा सके। कारण यह था कि न ही पर्यावरण विभाग और न ही अन्य जिम्मेदार विभागों द्वारा इसको गंभीरता से लिया गया।
लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। एक दशक के बाद प्रदेश में एक बार फिर राज्य पर्यावरण नीति बनाने की कवायद शुरू की गई है। पर्यावरण निदेशालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास विजन 2030 के तहत नीति बनाने का कार्य शुरू किया जा रहा है जिससे सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्यों और पर्यावरण प्रबंधन में हितधारकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके। बताते चलें कि एक दशक पूर्व भी पर्यावरण नीति बनाने की कवायद की गई थी जो फाइलों से बाहर नहीं आ सकी। वजह यह थी कि नीति के तहत जिम्मेदार विभागों को क्या करना होगा, उसके लिए धन की व्यवस्था कहां से होगी इन सभी बातों पर मंथन ही नहीं किया गया।
पर्यावरण नीति का ड्राफ्ट बनाकर वेबसाइट पर जरूर डाल दिया गया जिससे आम आदमी के सुझाव व आपत्तियां प्राप्त की जा सके। कारण यह था कि न ही पर्यावरण विभाग और न ही अन्य जिम्मेदार विभागों द्वारा इसको गंभीरता से लिया गया। इसलिए यह फाइल अलमारी में बंद होकर रह गई। हालांकि इस बीच बढ़ता वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, जल संरक्षण, नदियों का पर्यावरणीय प्रभाव सहित कई सहित कई अन्य चुनौतियां और अधिक विकराल हो चुकी हैं। वही जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ी गंभीर चुनौती बन चुका है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के चलते प्रदेश में हर साल 94 लाख से अधिक मानव वर्ष की क्षति होती है जिसकी अनुमानित लागत 6170 करोड़ के करीब है। वहीं दूषित पर्यावरण के कारण लोगों की सेहत दांव पर है।
अब एक बार फिर राज्य पर्यावरण नीति बनाने की कवायद शुरू की गई है। विशेष सचिव एवं पर्यावरण निदेशक आशीष तिवारी बताते हैं कि पर्यावरण नीति प्रदेश में मौजूदा पर्यावरणीय समस्याओं को चिन्हित कर विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी व उनका योगदान सुनिश्चित करने के साथ हितधारको की जिम्मेदारी भी तय की जाएगीे। प्रदेश में मौजूदा पर्यावरणीय समस्याओं के क्या समाधान होंगे और उसमें विभिन्न विभागों का क्या योगदान होगा, उनसे जुड़े सभी कार्य बिंदुओं को नीति में सम्मिलित किया जाएगा। वहीं इनके क्रियान्वयन को भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जाएगा। उद्देश्य ही कि पर्यावरण संरक्षण में सभी का योगदान हासिल किया जा सके।