UP में वायु प्रदूषण से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी, सुबह-शाम न खोलें खिड़की-दरवाजे, टहलने भी न जाएं
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.पद्माकर सिंह ने एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों को वायु प्रदूषण से बचाव के तरीके बताए हैं।
लखनऊ, जेएनएन। अब हवा जहरीली है। वायुमंडल में घुला प्रदूषण सांसों पर भारी पड़ रहा है। इससे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जहां सुबह और देर शाम खिड़की-दरवाजे न खोलने को कहा है, वहीं सुबह या शाम को न टहलने का भी सुझाव दिया है। स्कूलों और कॉलेजों में भी प्रार्थना सभाओं, खेलकूद और व्यायाम जैसी सुबह की गतिविधियों से परहेज करने को कहा गया है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.पद्माकर सिंह ने सोमवार को एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों को प्रदूषण से बचाव के तरीके बताए हैं। महानिदेशक ने कहा कि हवा में बढ़ता प्रदूषण सांस के मरीजों पर भारी पड़ रहा है, जबकि स्वस्थ लोगों में भी यह फेफड़े संबंधी बीमारियों के साथ हृदय रोग, चर्म रोग, स्ट्रोक व गुर्दे की समस्याओं का कारण बन रहा है। इससे बचाव के लिए मास्क लगाने के प्रति प्रोत्साहित करने, प्रदूषणजनित बीमारियों की रिपोर्टिंग करने और सेंटीनेल अस्पतालों की स्थापना व सुदृढ़ीकरण पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण से लोगों को बचाने के लिए राज्य सरकार के अन्य विभागों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
प्रदूषण से बचाव को यह करें
- घर से बाहर निकलते समय एन-95, एन-99 या एफएफपी-3 श्रेणी के मास्क पहनें।
- पकाने के लिए साफ व धुआं रहित ईंधन का प्रयोग करें।
- घर में किसी सदस्य के श्वसन तंत्र संबंधी समस्या होने पर एलर्जी किट, इन्हेलर और नेबुलाइजर को आवश्यक एलर्जी किट के पास रखें।
- शरीर में पानी की कमी न हो, लगातार शुद्ध जल पीते रहें।
- सांस लेने में समस्या, आंखों में जलन या लालिमा, कफ, छाती में दर्द या भारीपन होने पर नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।
यह न करें
- पटाखे, लकड़ी, सूखी पत्तियां, कूड़ा और कृषि उत्पादों को आग मत लगाएं।
- भारी यातायात व औद्योगिक क्षेत्रों में जाने से बचें।
- सुबह और देर शाम टहलने न जाएं, इस समय व्यायाम भी न करें।
- स्कूल-कॉलेजों में परिसर के बाहर प्रार्थना सभाओं, खेलकूद व व्यायाम न कराएं।
- सुबह और देर शाम दरवाजे-खिड़कियां मत खोलें लेकिन, दोपहर 12 से शाम चार बजे तक जरूर खोलें
- बीड़ी, सिगरेट व अन्य तंबाकू पदार्थों का सेवन न करें।
- अधिकतर समय घर में रहें, घर के बाहर की गतिविधियां कम से कम रखें।
- सांस, फेफड़े और हृदय रोग के मरीज अपनी दवा हमेशा साथ रखें।
- कागज व कपड़े के मास्क उपयोगी नहीं हैैं, इन्हें लगाने से फायदा नहीं होगा।
यहां होगा अधिक जोर
स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक लखनऊ, कानपुर, बुलंदशहर, बागपत और गाजियाबाद प्रदेश के सबसे अधिक प्रदूषित हैं, इसलिए इन जिलों में सेंटीनेल अस्पतालों की स्थापना व सुदृढ़ीकरण पर खास जोर रहेगा। लखनऊ, आगरा, प्रयागराज, सोनभद्र, बरेली, फीरोजाबाद, अमरोहा, झांसी, कानपुर नगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर, रायबरेली व वाराणसी के जिला अस्पतालों के अधीक्षकों तथा हापुड़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक्यूट रेस्पेटरी इलनेस (एआरआइ) की रिपोर्टिंग के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है।
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ये हैं प्रमुख स्रोत
वाहनों का धुआं, सड़क पर उड़ती धूल, निर्माण कार्यों की धूल, कूड़ा व फसलों के अवशेष जलाने से निकला धुआं, औद्योगिक धुआं, पटाखे, थर्मल पावर प्लांट का उत्सर्जन और लकड़ी-कोयला जलने से निकलने वाला धुआं प्रदेश में प्रदूषण का मुख्य कारण बन गया है।