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एक घंटे में तय होगी लिवर सिरोसिस के इलाज की दिशा, SGPGI के विशेषज्ञों ने खोजा खास बायोमार्कर

Research of SGPGI लिवर सिरोसिस से ग्रस्त मरीजों की जिंदगी सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञों ने खास बायोमार्कर का पता लगाया है। इसके जरिये मात्र एक घंटे में मरीजों में परेशानी का कारण पता लग जाएगा और इलाज की दिशा तय हो जाएगी।

By Vikas MishraEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:41 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 01:57 PM (IST)
एक घंटे में तय होगी लिवर सिरोसिस के इलाज की दिशा, SGPGI के विशेषज्ञों ने खोजा खास बायोमार्कर
एसपीजीआइ के पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. गौरव पाण्डेय के मुताबिक इस परेशानी का कारण संक्रमण या सूजन होता है।

लखनऊ, [कुमार संजय]। लिवर सिरोसिस से ग्रस्त मरीजों की जिंदगी सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञों ने खास बायोमार्कर का पता लगाया है। इसके जरिये मात्र एक घंटे में मरीजों में परेशानी का कारण पता लग जाएगा और इलाज की दिशा तय हो जाएगी। लिवर सिरोसिस के मरीजों में रक्त स्राव, पेट में पानी भरने, सोडियम-पोटैशियम में असंतुलन, मतिभ्रम सहित कई परेशानियां होती है। संजय गांधी पीजीआइ के पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. गौरव पाण्डेय के मुताबिक इस परेशानी का कारण संक्रमण या सूजन होता है। कारण का पता लगाने में न्यूट्रोफिल सीडी 64 बायोमार्कर काफी अहम भूमिका अदा करता है।

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लिवर सिरोसिस के 128 मरीजों पर शोध में इसकी पुष्टि हुई है। सीडी 64 की संख्या कम है तो कारण सूजन होता है। संख्या अधिक है तो संक्रमण सिरोसिस की वजह बनता है। इंफेक्शन है तो तुरंत हाई एंटीबायोटिक शुरू करके मरीजों को आराम दिया जा सकता है। सूजन है तुरंत इम्यूनोसप्रेसिव शुरू करते हैं, जिससे मरीज को आराम मिल जाता है। लिवर सिरोसिस के मरीजों में होने वाली तमाम परेशानी को एक्यूट आन लिवर फेल्योर (एसीएलएफ) कहते हैं। इलाज की दिशा तय करने के लिए डाक्टर के पास चार से पांच घंटे का समय होता है। सही समय पर इलाज न मिलने पर जीवन को खतरा हो सकता है। इस शोध के बाद एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल रुकेगा। एंटीबायोटिक रसिस्टेंट कम होगा और इलाज का खर्च घटेगा। 

टीएलसी का स्तर देता है चकमाः प्रो. गौरव के मुताबिक अभी तक टीएलसी (टोटल लिम्फोसाइट काउंट) का स्तर बढ़ा होने पर मान लिया जाता रहा है कि इंफेक्शन है और एंटीबायोटिक शुरू कर दी जाती थी, लेकिन मरीज को आराम नहीं मिलता था। देखा कि टीएलसी अमूमन 90 से 95 फीसद में बढ़ा रहता है। टीएलसी बढ़े होने के बाद भी 50 से 60 फीसद में इंफेक्शन नहीं होता है। सूजन के कारण भी यह बढ़ सकता है। 128 मरीजों में से 58 में इंफेक्शन मिला। 

सिर्फ अल्कोहल ही नहीं कारणः यूटिलिटी आफ न्यूट्रोफिल सीडी 64 इन डिस्टिंग्विस बैक्टीरियल इंफेक्शन फ्राम इंफ्लामेशन इन सीवियर अल्कोहलिक हेपेटाइटिस विषय पर हुए शोध को साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल ने स्वीकार किया है। शोध क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के प्रो.विकास अग्रवाल के प्रो. दुर्गा प्रसन्ना और गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट प्रो. गौरव पाण्डेय ने किया। प्रोफेसर गौरव पांडेय के मुताबिक लीवर सिरोसिस अल्कोहल, आटो इम्यून डिजीज, वायरल हेपेटाइटिस बी, सी तथा फैटी लिवर प्रमुख कारण हैं। 


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