Durga Puja 2019 : रेड लाइट एरिया की मिट्टी के बिना नहीं बनती मां दुर्गा की प्रतिमा, जानिए क्या है इतिहास Lucknow news
मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए पुजारी मांगने जाते हैं उनके दरवाजे की माटी। बदनाम चौखट की माटी के बिना नहीं बनती मां की प्रतिमा।
लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। दुर्गा पूजा से जुड़ी एक खास परंपरा से शायद आप अंजान हों। बदनाम चौखट की माटी के बिना यहांं मां की मूर्ति बनती ही नहीं है। जमाने पुराने इस रिवाज को आज भी निभाया जाता है। परंपरा के मुताबिक, वेश्या की चौखट पर पुजारी भक्ति की भीख मांगने जाते हैं।
राजधानी में 128 पंडाल सजाकर मां की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। मां की इन प्रतिमाओं को बनाने के लिए चार चीजें जरूरी मानी जाती हैं। इसमें गंगा की काली मिट्टी, गौमूत्र, गोबर के साथ वेश्या की चौखट की मिट्टी शामिल है। रवींद्रपल्ली के मूर्तिकार सुजीत कुमार ने बताया कि गंगा की काली मिट्टी और पुआल के साथ सोनागाछी से लाई मिट्टी मिलाकर प्रतिमा बनाई है। इसमें गोमूत्र और गोबर भी है। इसे मिलाए बिना मूर्ति फट जाएगी।
बंगाली समाज सोनागाछी (रेड लाइट एरिया) की मिट्टी से बनी प्रतिमा की ही पूजा करते हैं। ऐसे में प्रतिमा का निर्माण वहां की मिट्टी के बगैर नहीं होता। इसके लिए बंगाली समाज के पुरोहित मूर्तिकार के साथ वहां जाते हैं। कोठे की चौखट के बाहर की मिट्टी मांगते हैं। सेवाग्राम दुर्गा पूजा कमेटी के संयोजक आरएन बोस ने बताया कि हर प्रतिमा में कोलकाता सोनागाछी क्षेत्र के कोठे के चौखट की मिट्टी का प्रयोग होता है। बादशाहनगर दुर्गा पूजा कमेटी की प्रिया सिन्हा का कहना है कि सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन वर्तमान समय में भी होता है।
भीख मांगते हैं पुरोहित
वेश्या मिट्टी देने से मना करती हैं तो उनसे भीख मांगी जाती है। यहीं नहीं मिट्टी के एवज में उन्हे फल मिठाई के साथ नकद पैसे भी उपहार के लिए दिए जाते हैं।
ऐसी हैं मान्यताएं
- व्यक्ति कोठे पर जाते वक्त चौखट पर पवित्रता छोड़ देता है, इसलिए वहां की माटी सबसे पवित्र होती है
- परंपरा समाज से कट चुकी वेश्याओं को समाज से जोड़ने का संदेश देती है
- यह परंपरा मंत्रोच्चार से पाप कर्म करने वाली वेश्याओं के कल्याण के निमित्त बनी है
- हर महिला को सम्मान देने का संदेश देने के लिए इस परंपरा को बनाया गया है
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