Move to Jagran APP

सहारनपुर में ईसा से 1945 वर्ष पूर्व मौजूद थी गंगा घाटी की सभ्यता

सैंपल का कालक्रम ईसा से 1945 वर्ष पूर्व का साबित हुआ है। यहां मिले पुरावशेषों के आधार पर एएसआइ का दावा है कि हड़प्पा और गंगा घाटी के लोगों के बीच व्यापारिक व सांस्कृतिक संबंध भी थे।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 18 Nov 2017 03:50 PM (IST)Updated: Sat, 18 Nov 2017 04:01 PM (IST)
सहारनपुर में ईसा से 1945 वर्ष पूर्व मौजूद थी गंगा घाटी की सभ्यता
सहारनपुर में ईसा से 1945 वर्ष पूर्व मौजूद थी गंगा घाटी की सभ्यता

आगरा [निर्लोष कुमार]। सहारनपुर के सकतपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को उत्खनन में बड़ा खजाना हाथ लगा है। यहां गंगा घाटी की सभ्यता का कालक्रम मिला है। फ्लोरिडा (अमेरिका) में जांच को भेजे गए सैंपल का कालक्रम ईसा से 1945 वर्ष पूर्व का साबित हुआ है। यहां मिले पुरावशेषों के आधार पर एएसआइ का दावा है कि हड़प्पा और गंगा घाटी के लोगों के बीच व्यापारिक व सांस्कृतिक संबंध भी थे।
सहारनपुर के सकतपुर में 17 मई, 2016 को ईंट भट्ठे पर मजदूरों को ईंट बनाने के लिए मिट्टी की खोदाई में आधा दर्जन प्राचीन ताम्र कुठार मिले थे। इसके बाद अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम के निर्देशन में डॉ. अर्खित प्रधान ने 70 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में उत्खनन किया था।

loksabha election banner

तांबे की बनी कुठार, चूडिय़ां, मुष्ठिका, सिल बट्टे, जीवाश्म, मनके, गाड़ी का पहिया, फियांस, भट्ठियां, लांचन या अनुष्ठान चिह्न, मृदभांड आदि मिले थे। यहां मिले इन पुरावशेषों को आगरा लाया गया था। इनमें से एक सैंपल जांच के लिए बेटा इनकॉरपोरेशन, फ्लोरिडा भेजा गया था। कार्बन डेटिंग के आधार पर इसका कालक्रम ईसा से 1945 वर्ष पूर्व का साबित हुआ है। यह हड़प्पा सभ्यता (3000 से 1900 ईसा पूर्व का) के समकालीन है।

एएसआइ इसे गंगा घाटी की सभ्यता (2500 ईसा पूर्व से शुरुआत) का मान रहा है। डॉ. भुवन विक्रम बताते हैं कि सकतपुर में पत्थर के मनके मिले हैं। यह कार्लेनिल, अगेट और चालसिडनी पत्थर के हैं। गंगा घाटी में ये पत्थर नहीं मिलता है। हड़प्पा सभ्यता के शहरों में भी ऐसे मनके मिले थे। इससे इनके हड़प्पा सभ्यता के साथ व्यापारिक व सांस्कृतिक संबंध होने की बात साबित होती है। सकतपुर में फियांस (कांच जैसी चीज) भी मिली है।

मिट्टी और फूस से बनाते थे मकान : सकतपुर में मिट्टी की थापी हुई कच्ची ईंटों व घास-फूस के प्रयोग से बनाए गए मकानों के साक्ष्य भी मिले हैं। एएसआइ के विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां जो साक्ष्य मिले हैं, उनसे लगता है कि जमीन में गड्ढे बनाकर ये लोग शवों का अंतिम संस्कार करते थे या रहा करते थे।

वास्तुशास्त्र के थे जानकार : सकतपुर में खोदाई के दौरान पांच भट्ठियां भी मिली थीं। यह दक्षिण दिशा में और गांव के बाहर टीले का निचला स्थल हैं। भट्ठियों की जांच से यह तो पता नहीं चल सका कि उनका प्रयोग किस काम में होता था, लेकिन उनकी दिशा से यह पता चलता है कि यहां के लोगों को वास्तुशास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था।
कालक्रम मिलने की तीसरी साइट्स : सहारनपुर का सकतपुर तीसरी ऐसी साइट्स है, जहां गंगा घाटी की सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं। इससे पूर्व बागपत के आलमगीरपुर और हुलास में हड़प्पा और गंगा घाटी की सभ्यता के साक्ष्य उत्खनन में मिल चुके हैं। आलमगीरपुर में बनारस ङ्क्षहदू विवि ने वर्ष 2008 में उत्खनन कर अध्ययन किया था। तब यहां 2600 से 2200 ईसा पूर्व का कालक्रम मिला था। हुलास की दूरी सकतपुर से करीब 100 किमी ही है, इससे दोनों के बीच आपसी संबंध होने का अनुमान है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.