उप्र में फिर बजी आतंकी खतरे की घंटी
इस बार गणतंत्र दिवस को लेकर आतंकी खतरे की घंटी बज गयी है। खुफिया एजेंसियों ने नेपाल के जरिये आतंकियों के घुसपैठ और खुराफात का अंदेशा जताया है। खासतौर से सामरिक क्षेत्रों में अलर्ट किया गया है। प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को भी आतंकी निशाना बना सकते हैं।
लखनऊ। इस बार गणतंत्र दिवस को लेकर आतंकी खतरे की घंटी बज गयी है। खुफिया एजेंसियों ने नेपाल के जरिये आतंकियों के घुसपैठ और खुराफात का अंदेशा जताया है। खासतौर से सामरिक क्षेत्रों में अलर्ट किया गया है। प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को भी आतंकी निशाना बना सकते हैं।
पठानकोट के आतंकी हमलों से सतर्क सुरक्षा एजेंसियों की निगाह देश के सरहदी इलाकों की ओर गयी है। नेपाल सीमा से घुसपैठ का अंदेशा है। चूंकि गोरखपुर और आसपास सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं इसलिए आतंकी संगठनों की सक्रियता इधर बढ़ सकती है। खुफिया एजेंसियों ने सरकार को इससे अवगत करा दिया है। सूत्रों के मुताबिक उप्र में माहौल अशांत करने के लिए जैश-ए-मोहम्मद,लश्कर-ए-तय्यबा और इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठनों ने हाथ मिला लिया है। खुफिया एजेंसियों को खबर है कि आइएसआइ ने हमले के लिए पाकिस्तान के कई प्रशिक्षित आतंकवादियों को उप्र में खुराफात का टारगेट सौंपा है। नेपाल में पनाह लिये आतंकी पहले से ही तैयारी में जुटे हैं। नेपाल के कई संगठन वहां आने वाले आतंकवादियों का सहयोग कर रहे हैं। लखनऊ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, मथुरा, फैजाबाद, वाराणसी, अलीगढ़, बुलंदशहर, बरेली, मुरादाबाद, मऊ, भदोही, आजमगढ़, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, खीरी, पीलीभीत, गोंडा रायबरेली और बाराबंकी आदि जिलों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। आतंकी वारदात करने से लेकर पनाह लेने तक इन जिलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
'आतंकवाद निरोधक कार्रवाई सार्वजनिक नहीं करते'
खुफिया एजेंसियों के इस अलर्ट के बाद उत्तर प्रदेश में आतंकवाद रोकने के लिए की जा रही तैयारी के संदर्भ में जब पुलिस महानिरीक्षक अपराध डॉ. आरके स्वर्णकार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आतंकवाद के संदर्भ में जो कार्रवाई की जाती उसे सार्वजनिक नहीं करते हैं।