पाकिस्तान से ऑपरेट आतंकी फंडिंग नेटवर्क का भंडाफोड़, दस गिरफ्तार
आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पाकिस्तान से चलाए जा रहे आतंकी फंडिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ कर बड़ी सफलता हासिल की है। इस नेटवर्क से जुड़े दस सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।
लखनऊ (जेएनएन)। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पाकिस्तान से चलाए जा रहे आतंकी फंडिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ कर बड़ी सफलता हासिल की है। इस नेटवर्क से जुड़े दस सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से बड़ी संख्या में एटीएम डेबिट कार्ड, मैग्नेटिक कार्ड रीडर, स्वैप मशीन सहित 52 लाख रुपये नकद बरामद हुए हैं। पूरा नेटवर्क लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकी पाकिस्तान से चला रहा था। वह लाहौर से फोन और इंटरनेट के जरिये नेटवर्क के सदस्यों के संपर्क में रहता था। नेटवर्क के तार नेपाल से भी जुड़े हुए हैं। गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों को ट्रांजिट रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।
एटीएस के आइजी असीम अरुण ने रविवार को बताया कि गिरफ्तार लोगों ने आतंकी फंडिंग नेटवर्क में शामिल होना स्वीकार किया है। इनमें से कुछ को यह नहीं पता था कि यह पैसा आतंकी गतिविधियों के लिए आता है। वे इसे लॉटरी के फ्राड का पैसा समझते थे। इनमें से कुछ जानते थे कि यह आतंकी फंडिंग है। उन्होंने बताया कि मोबाइल, लैपटॉप के डाटा की छानबीन में पुख्ता साक्ष्य मिले हैं। इस बारे में एटीएस थाने में दो मुकदमे पंजीकृत किए गए हैं।
आइजी असीम अरुण ने बताया कि इस नेटवर्क के बारे में पूर्व में गिरफ्तार आतंकियों और जासूसों से इनपुट मिले थे। इसके आधार पर अपर पुलिस अधीक्षक राजेश साहनी, पुलिस अधीक्षक मनीष साहनी के नेतृत्व में टीमें बनाई गईं। इन टीमों ने कई साक्ष्य एकत्रित कर गोरखपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़ और रीवा में कई जगह छापे मारे। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में नेटवर्क की कार्यशैली प्रकाश में आई। पाकिस्तान में सिमबॉक्स के अवैध नेटवर्क द्वारा काल किया जाता था। एटीएस पूर्व में भी इस रैकेट पर कार्रवाई कर चुकी है।
अभियुक्तों से बरामद सामान
बड़ी संख्या में एटीएम कार्ड, 52 लाख रुपये नकद, छह स्वैप मशीन, मैग्नेटिक कार्ड रीडर, तीन लैपटॉप, मोबाइल फोन, एक देशी पिस्टल, दस कारतूस, बड़ी संख्या में अलग-अलग बैंकों के चेकबुक, कूटरचित प्रपत्र बनाने की साम्रग्री।
गिरफ्तार अभियुक्तों में पांच पूर्वांचल के
आइजी के अनुसार जिन दस अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें पांच पूर्वांचल के हैं। इसके अलावा प्रतापगढ़ रीवा, लखनऊ और बिहार से गिरफ्तारी की गई। अभियुक्तों के नाम इस प्रकार हैं -
- 1. संजय सरोज- उम्र-31, ग्राम भदेसर, तहसील रानीगंज प्रतापगढ़।
- 2. नीरज मिश्रा- उम्र-25, ग्राम भदेसर, तहसील रानीगंज प्रतापगढ़।
- 3. साहिल मसीह- उम्र-27, ग्राम बरौली, खलीलाबाद, थाना पीजीआइ, लखनऊ।
- 4. उमा प्रताप सिंह- उम्र-26, ग्राम बेला, थाना सिमरिया, रीवा, मध्य प्रदेश।
- 5. मुकेश प्रसाद- उम्र-24, ग्राम अल्लापुर, थाना माझागढ़, गोपालगंज, बिहार।
- 6. निखिल राय उर्फ मुशर्रफ अंसारी - उम्र-23, ग्राम गरुण नगर, पडरौना, कुशीनगर।
- 7. अंकुर राय उर्फ सुशील राय- उम्र-25, ग्राम तरांव, जीयनपुर, थाना आजमगढ़।
- 8. दयानंद यादव- उम्र-28, ग्राम पांडे टोला, खोराबार, गोरखपुर।
- 9. नसीम अहमद उम्र-40, ग्राम चतुर्थ तल आशियाना, गांधी गली, गोरखपुर।
- 10. नईम अरशद- उम्र-35, ग्राम चतुर्थ तल आशियाना, गांधी गली, गोरखपुर।
लेन-देन हुआ है, उनकी जांच
आइजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि जिन खातों से पैसे का लेन-देन हुआ है, उनकी जांच की जा रही है। अभियुक्तों से पूछताछ की जा रही है। कई और तथ्य प्रकाश में आएंगे। बैंकों को फेक केवाईसी की जांच करनी चाहिए। दोषी बैंककर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि एटीएस ने इस बीच अपनी तकनीकी क्षमताएं बढ़ाई हैं। इसकी वजह से ही इस नेटवर्क तक पहुंच हुई। आतंकियों का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए और भी कई कदम उठाए जाएंगे।
सेना की जासूसी कांड से जुड़़े तार
एटीएस सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क के तार 2016 में सेना की गुप्त सूचना देने वाले आइएसआइ एजेंट से भी जुड़ रहे हैं। 2016 में आइएसआइ एजेंट तरसेम लाल और सेना की गुप्त सूचना पाकिस्तान को देने वाले सतविंदर और दादू को जम्मू में गिरफ्तार किया गया था। इनकी आर्थिक मदद मध्य प्रदेश का बलराम करता था जो पिछले वर्ष मध्य प्रदेश में गिरफ्तार हुआ था। इन दोनों प्रकरण में पाकिस्तानी हैंडलर वही है, जो यहां प्रतापगढ़ के संजय और रीवा के उमाशंकर उर्फ सौरभ के संपर्क में था।