दस हजार बेसहारा गायों-सांड़ों को मिलेंगे नए घर, प्राकृतिक वास बनेगा आसरा
उत्तरधौना में तीस एकड़ में बनेगा नया कान्हा उपवन। नगर निगम प्राकृतिक वास बनाएगा पांच हजार गोवंश का होगा ठिकाना।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। दूध दे तो माता नहीं तो कुमाता। सड़कों पर घूम रहीं बेसहारा गायों का यही दर्द है। पेट भरने के लिए कूड़ा खा रही हैं तो उसके साथ गई पॉलीथीन उन्हें तड़प-तड़प कर मरने को मजबूर कर देती हैं। अब ऐसी गाय और सांड़ों को भी संरक्षित करने की नई जगह मिल पाएगी। तीस एकड़ जमीन में बने कान्हा उपवन की तरह उत्तरधौना में भी तीस एकड़ जमीन में एक और कान्हा उपवन नगर निगम बनाने जा रहा है तो दूसरी तरफ इन पशुओं के लिए अलग से प्राकृतिक वास बनाया जाएगा।
पांच हजार गोवंश पशुओं के लिए देवा रोड के पास उत्तरधौना गांव में जमीन चिन्हित की गई है। यह जमीन नगर निगम के विस्तारित क्षेत्र में है और पहली बार नगर निगम विस्तारित क्षेत्र में किसी योजना को ला रहा है। ग्राम सभा में यह जमीन चरागाह में दर्ज है और वहां पर ग्राम प्रधान की तरफ से कुछ पशुओं की गौशाला संचालित हो रही है। नगर निगम ने नए कान्हा उपवन के लिए ढाई करोड़ के बजट का प्रावधान किया है, जिसमे शेड से लेकर तारबाड़ होगा। यह जमीन देवा रोड और फैजाबाद रोड पर इंदिरा कैनाल से आगे है। शनिवार को नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक पशु कल्याण डा. अरविंद राव, तहसीलदार सविता शुक्ला और नगर अभियंता-चार महेश वर्मा ने मौके पर जाकर जमीन को देखा, जो कान्हा उपवन के लिए उपयुक्त पाई गई है। नगर आयुक्त ने बताया कि नए कान्हा उपवन को पांच हजार गोवंश की क्षमता के हिसाब से बनाया जाएगा।
यहां मिलेगा प्राकृतिक वास
अमौसी के पास हराइन खेड़ा में 64 एकड़ में गोवंश पशु प्राकृतिक वास में रह सकेंगे। जिससे गोवंश पशु दूर तक विचरण कर चर सकेंगे, जहां कुछ शेड बनाए जाएंगे, जहां बारिश व गर्मी में वह रह सकेंगे। इन गोवंश पशुओं को घेराबंदी कर शेड में नहीं रखा जाएगा। यह प्राकृतिक वास भी करीब पांच हजार गोवंश पशुओं के लिए होगा। नगर आयुक्त ने बताया कि हराइन खेड़ा में पचास प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है और जल्द ही यहां बेसहारा गोवंश पशुओं को लाकर रखा जाएगा।
ओवर लोड है कान्हा उपवन
सरोजनीनगर में 2007 में कान्हा उपवन की योजना तत्कालीन महापौर डॉ. दिनेश शर्मा (वर्तमान में उप मुख्यमंत्री) की देन है। सड़क पर रह रहे बेसहारा पशुओं के लिए कान्हा उपवन की योजना सार्थक रही और इसका मॉडल कई शहरों में अपनाया गया। सात हजार क्षमता के कान्हा उपवन में साढ़े नौ हजार से अधिक गोवंश पशु हैं। इसी तरह कुकरैल के पास बनाए गए राधा उपवन में भी छह सौ गोवंश रखे गए हैं।