Solar Eclipse 2020: दिनभर बंद रहे कपाट, संध्या आरती के साथ खुले मंदिर
लखनऊ में सूर्यग्रहण के बाद गंगा जल से पवित्र किए गए मंदिर हुई कोरोना से मुक्ति की कामना।
लखनऊ, जेएनएन। विकास के इस डिजिटल युग में हम भले ही सूर्य ग्रहण को खगोलीय घटना बताएं, लेकिन हमारी धार्मिक मान्यताएं भी विज्ञान के साथ कदमताल करती नजर आती हैं। रविवार को सूर्य ग्रहण के चलते 12 घंटे पहले शनिवार की देर रात ही मंदिर बंद हो गए। भगवान सूर्य की उपासना के साथ बंद हुए मंदिर रविवार को दोपहर बाद ग्रहण समाप्त होने के साथ खुले। खुलने से पहले पहले पुजारियों ने मंत्रोच्चारण के साथ गंगा जल से मंदिर का पवित्रीकरण किया। भगवान को स्नान कर वस्त्र बदले। देर शाम से श्रद्धालुओं ने न केवल दर्शन किए बल्कि दान देकर ग्रहण काल की व्याधियों काे दूर करने की कामना की। कुछ श्रद्धालुओं ने आदि गंगा गोमती में स्नान कर दान किया।
राजधानी में सुबह 10:26 बजे से शुरू हुआ ग्रहण दोपहर में 1:58 बजे समाप्त हुआ। समापन के साथ ही हनुमान सेतु मंदिर में सफाई के साथ ही सुबह की आरती की गई। मंदिर के मुख्य पुजारी चंद्रकांत द्विवेदी ने बताया कि चार बजे से मंदिर पूर्व की भांति दर्शन के लिए खोल दिया गया। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं दिया गया। मंदिर के कपाट खोल दिए गए, लेकिन श्रद्धालुओं ने बाहर से दर्शन किए। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने भी ग्रहण काल समाप्त होने के साथ आरती की। कोरोना संक्रमण से मुक्ति और ग्रहण काल के दुष्प्रभाव से श्रद्धालुओं को बचाने की कामना भी की। राजेंद्र नगर केे महाकाल मंदिर के व्यवस्थापक अतुल कुमार मिश्रा के संयोजन में देर शाम महाकाल की आरती हुई अौर श्रद्धालुओं ने बारी-बारी से दर्शन किए। अलीगंज के नए व पुराने हनुमान मंदिर के साथ ही बीरबल साहनी मार्ग स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर, पक्का पुल के दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, कोनेश्वर महादेव मंदिर, कोतवालेश्चर महादेव मंदिर, बुद्धेश्चर महादेव मंदिर समेत सभी मंदिरों में आरती के साथ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
पांच जुलाई को लगेगा साल का अंतिम चंद्र ग्रहण
आंशिक सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के साथ ही इस साल का अंतिम ग्रहण पांच जुलाई को लगेगा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को लगने वाला यह उपछाया चंद्रग्रहण की कोई धार्मिक मान्यता नहीं होगी। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि उपछाया का मतलब होता है कि चंद्रमा पर पृथवी की वास्तविक छाया के बजाय उसकी उपछाया पड़ेगी। इसका धार्मिक असर मान्य नहीं होता है। ऐसे में इस ग्रहण को लेकर सूतक काल भी नहीं होगा। इस साल का यह अंतिम ग्रहण होगा।