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राज्य पुरस्कार के लिए गुरुजी को करनी होगी ज्यादा मेहनत, नियमावली में संशोधन के लिए बनी कमेटी

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से हर साल सरस्वती व शिक्षकश्री सम्मान शिक्षकों को दिया जाता है। फिलहाल राज्य शिक्षक पुरस्कार की नियमावली 2015 में बनाई गई थी ऐसे में अब संशोधन होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 09:34 AM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 04:10 PM (IST)
राज्य पुरस्कार के लिए गुरुजी को करनी होगी ज्यादा मेहनत, नियमावली में संशोधन के लिए बनी कमेटी
राज्य पुरस्कार के लिए गुरुजी को करनी होगी ज्यादा मेहनत, नियमावली में संशोधन के लिए बनी कमेटी

लखनऊ [आशीष त्रिवेदी]। उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के राज्य शिक्षक पुरस्कार के मानकों को और सख्त किया जाएगा। राज्य पुरस्कार की नियमावली में संशोधन के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। कमेटी 15 दिन के अंदर नियमावली में बदलाव के सुझाव देगी और इसके बाद इसमें संशोधन किया जाएगा। अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित एकेडमिक परफार्मेंस एंडीकेटर्स (एपीआइ) के अनुसार नौ बिंदुओं में अंकों का विभाजन किया गया है। अभी शोध पत्र, सेमिनार व पुस्तक प्रकाशन को लेकर शिक्षक खुद सवाल उठाते रहे हैं। ऐसे में अब मानक और मूल्यांकन को और सख्त किया जाएगा। गुरुजी को पुरस्कार पाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी।

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उच्च शिक्षा विभाग की ओर से हर साल सरस्वती व शिक्षकश्री सम्मान शिक्षकों को दिया जाता है। फिलहाल राज्य शिक्षक पुरस्कार की नियमावली 2015 में बनाई गई थी, ऐसे में अब संशोधन होगा। अभी निर्धारित मानक के अनुसार शिक्षक के अंतरराष्ट्रीय जर्नल में शोध पत्र छपने के 25 अंक और राष्ट्रीय स्तर के जर्नल के दस अंक प्रति प्रकाशन के निर्धारित हैं। इसी तरह प्रकाशित पुस्तकों की श्रेणी में अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक के 30 अंक प्रति पुस्तक, राष्ट्रीय प्रकाशक के 20 अंक और स्थानीय प्रकाशक के 15 अंक प्रति पुस्तक निर्धारित किए गए हैं। वहीं व्याख्यान के सात अंक प्रति व्याख्यान निर्धारित हैं।

लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि इसमें शिक्षकों के कक्षा में पढ़ाने और नव प्रयोग के कोई अंक नहीं हैं। वहीं सेमिनार, रिसर्च जर्नल व पुस्तक प्रकाशन में अंक बटोरने की होड़ लगती है। यही कारण है कि शिक्षक इसमें गड़बड़ी पर सवाल उठाते हैं। नई नियमावली पूरी तरह पारदर्शी बनाई जाए। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियमावली संशोधन के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा, राजकीय महाविद्यालय ढिढ़ुई पट्टी प्रतापगढ़ के प्राचार्य डॉ. विनय कुमार सिंह, राजकीय महाविद्यालय बादलपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा, राजकीय पीजी कॉलेज नैनी प्रयागराज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीतू सिंह व राजकीय महिला पीजी कॉलेज फतेहपुर की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रेखा वर्मा को शामिल किया गया है। 


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