फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई में बेसिक शिक्षा विभाग सुस्त, नहीं हो रही दंडात्मक कार्रवाई
रेणुका कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस बारे में 27 जनवरी तक रिपोर्ट तलब की है।
लखनऊ, जेएनएन। प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में फर्जी डिग्रियों के आधार शिक्षकों की नियुक्ति का मामला हर पखवारे सामने आ रहा है। फर्जी डिग्रियों की मदद से नियुक्त शिक्षकों की शिनाख्त कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने में विभागीय अफसरों की सुस्ती से बिफरीं अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने उनके पेंच भी कसे हैं।
रेणुका कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस बारे में 27 जनवरी तक रिपोर्ट तलब की है। अब देखना है कि उनके पास कब तक रिपोर्ट पहुंच पाती है।
फर्जी डिग्रियों के आधार पर बड़ी संख्या में परिषदीय विद्यालयों में लोग शिक्षक पद पर चयनित हुए हैं। विशेष जांच दल ने मामले की जांच की थी और पाया था कि सिर्फ आगरा के डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की 4000 फर्जी डिग्रियों के आधार पर परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
एसआइटी ने रिपोर्ट बेसिक शिक्षा विभाग को सौंपी थी। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस रिपोर्ट के आधार पर सभी एडी बेसिक और बीएसए को फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्ति पाने में कामयाब हुए शिक्षकों को चिह्नित कर उन्हें सेवा से बर्खास्त करने के अलावा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया था।
सूत्रों के मुताबिक अब तक तकरीबन 1800 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ ही कार्यवाही हो सकी है। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने इस सुस्ती पर नाराजगी जताते हुए इस काम में तेजी लाने का निर्देश दिया है। उन्होंने इस बारे में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 27 जनवरी तक तलब की है।
गौरतलब है कि 2018 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने प्रत्येक जिलाधिकारी को निर्देश जारी किया था कि फर्जी शिक्षकों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वे एडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करें। उन्होंने इस बारे में जिलाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की थी जो अब तक नहीं आई।