World TB Day: 60 से 80 फीसद महिलाओं में इंफर्टिलिटी का कारण है टीबी
महिलाओं में इंफर्टिलिटी की प्रमुख वजह है टीबी।
लखनऊ,जेएनएन। 90 प्रतिशत जननांगो की टीबी 15 से 40 साल की महिलाओं में होती है। 60 से 80 प्रतिशत बांझपन का कारण टीबी रोग होता है। पिछले कुछ सालों में जननांगों की टीबी 10 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। बच्चों में होना वाला क्षय रोग उनके विकास को भी प्रभावित करता है। कई बार जांच में इस रोग की पुष्टि होती है। सामान्य टीबी के इलाज से जननांगों की टीबी ठीक हो जाती है। यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ.वेद प्रकाश ने वल्र्ड टीबी डे पर आयोजित प्रेसवार्ता में दी।
डॉ.वेद ने बताया कि करीब 60 से 80 फीसद महिलाओं में बांझपन का कारण टीबी केरूप में सामने आया है। 95 प्रतिशत में फैलोपियन ट्यूब में टीबी हो जाती है, जिसकी वजह से गर्भ नहीं ठहरता है। इसके अलावा वैजाइना में एक प्रतिशत टीबी के मामले आते हैं। फैलोपियन ट्यूब में टीबी की जांच में डाई की जांच होती है। टीबी से ग्रसित 100 महिलाओं में से 30 को जननांग की टीबी होती है।
पुरुषों में भी है समस्या : टीबी की वजह से पुरुषों को भी समस्या हो जाती है। इससे मूत्र नलिका बंद हो जाती है। स्पर्म की संख्या में भी कमी आ जाती है।
पेल्विक टीबी भी गर्भधारण में बाधक : आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ.राधिका बाजपेई ने बताया कि पेल्विक टीबी से पीडि़त 10 महिलाओं में से दो गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। जननांगों की पेल्विक टीबी के 40 से 80 फीसद मामले महिलाओं में देखे जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति केसाथ यौन संबंध बनाना भी जननांगों की पेल्विक टीबी होने का एक कारण है। कार्यक्रम में पल्मोनरी विभाग के डॉ.आरएएस कुशवाहा मौजूद रहे।
महिलाओं में टीबी के लक्षण
- समय से माहवारी का न होना।
- जननांग से रक्त मिश्रित स्राव होना
- संभोग के समय दर्द होना
पुरुषों में लक्षण-
स्खलन न होना। स्पर्म की संख्या में कमी
- पिट्यूटरी ग्लैंड की समस्या।
- मूत्र नलिका का बंद होना।
टीबी से बचने के उपाय
- स्वच्छता का ध्यान रखें। कमरे को रोशनी व हवायुक्त रखें।
- जहां टीबी मरीज हों, वहां खांसते, छींकते समय नाक पर रुमाल रखें।
- लक्षण दिखते ही चिकित्सक से सलाह लें। बलगम की जांच कराएं।
- खानपान शुद्ध एवं पौष्टिक रखें।
- टीबी के मरीजों को इलाज का कोर्स पूरा करने के लिए प्रेरित करें।
फेफड़े की टीबी के लक्षण
- दो हफ्ते से ज्यादा तक खांसी का आना, बलगम आना, बलगम के साथ रक्त आना, सीने में दर्द, बुखार आना, भूख एवं वजन तेजी से कम होना।