कोयल की तरह बोलते रहो भारत माता की जय : रामनाईक
भारत माता की जय न बोलने वालों को राज्यपाल राम नाईक ने कौआ की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि उन्हें चिल्लाने दीजिए और आप कोयल की तरह भारत माता की जय बोलते रहिए। किसी की परवाह मत करिए। उनका यह कहना था कि पूरा प्रेक्षागृह तालियों की गडग़ड़ाहट से गुंजायमान
लखनऊ। भारत माता की जय न बोलने वालों को राज्यपाल राम नाईक ने कौआ की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि उन्हें चिल्लाने दीजिए और आप कोयल की तरह भारत माता की जय बोलते रहिए। किसी की परवाह मत करिए। उनका यह कहना था कि पूरा प्रेक्षागृह तालियों की गडग़ड़ाहट से गुंजायमान हो उठा और सभी भारत माता की जय के नारे लगाने लगे।
वह शनिवार को नाट्य कला केंद्र शहीदों के आश्रितों को सम्मानित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि देश की रक्षा में जान गंवाने शहीदों की जितना सम्मान किया जाय कम है। सेना में रहकर देश की सरहदों पर 24 घंटे निगरानी के बाद ही हम चैन से सो पाते हैं। ऐसे में समाज के हर तबके की जिम्मेदारी है कि वह उनके आश्रितों का सम्मान करें। उन्होंने कहा जब वह पेट्रोलियम मंत्री थे तो शहीदों के आश्रितों को पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी देने की पहल की थी। इससे पहले पूर्व सैनिक कल्याण निगम के अध्यक्ष ब्रिगेडियर आरडी सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों को आर्थिक सहायता के साथ ही उन्हें इज्जत मिलनी चाहिए, क्योंकि उनका जवान बेटा शहीद हुआ है। ऐसे ही कई माता-पिता के बूढ़े कंधों ने जवान बेटे की शहादत का बोझ उठाया है। समारोह में शहीद हुए 61 परिवारों, 32 युद्ध विकलांग सैनिकों और 24 वीरता पुरस्कारों से सम्मानित शहीदों के आश्रितों को क्रमश: 3000, 2000 व 1100 रुपये की धनराशि व शाल दी गई। ट्रस्ट की ओर से शहीदों के चार आश्रितों को 3000 रुपये प्रतिमाह आजीवन पेंशन देने की घोषणा की गई।
सरकार व मुख्यमंत्री की सराहना : प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाने के लिए चर्चा में रहने वाले राज्यपाल ने शहीदों की पेंशन राशि में 30 फीसद की बढ़ोतरी पर न केवल सरकार की तारीफ की बल्कि मुख्यमंत्री के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मुखिया अखिलेश यादव हैं मैं सरकार का मुखिया होने के नाते उनके प्रयास की सराहना करता हूं।
दोबारा माइक पर आए राज्यपाल : धन्यवाद प्रस्ताव की घोषणा हो चुकी थी कि अचानक शहीद की पत्नी पुष्पारानी अचानक मंच पर चढऩे लगी। सुरक्षा कर्मियों ने रोका तो वह सीढिय़ों पर बैठ गईं। जिलाधिकारी आए और उन्हे मंच तक ले गए। राज्यपाल उठकर उनके पास गए और फिर माइक पर बोले। वह कुछ कह नहीं पा रही हैं। उनकी जो भी परेशानी है उसका कागज मैंने ले लिया है। मीडिया के लोग इस प्रकरण को दिखाने के साथ इसका भी जिक्र करें। इसलिए मुझे आना पड़ा।